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जयपुर

सिख गुरुओं का आमेर व जयपुर से रहा गहरा लगाव

चौड़ा रास्ता के गुरुद्वारा में गुरु गोविंद सिंहजी की दसवीं वाणी का हस्तलिखित दुर्लभ ग्रंथ

जयपुरNov 12, 2019 / 12:56 am

Ankit

सिख गुरुओं का आमेर व जयपुर से रहा गहरा लगाव

सिख गुरुओं का आमेर व जयपुर से रहा गहरा लगाव

जितेन्द्र सिंह शेखावत
जयपुर. सिख धर्म के गुरुओं का ढूढ़ाड़ और पुष्कर तीर्थ से लगाव रहा। वर्ष १५०९ में महान संत गुरुनानक देव ने कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर में स्नान किया। दसवें गुरु गोविंद सिंह को मिर्जा राजा जयसिंह प्रथम ने आमेर आगमन पर नजराना पेश कर सिख जडिय़ों की बनाई सोने में हीरे जड़ी तलवार भेंट की। तीन सौ साथियों के साथ आमेर से नारायणा होते हुए गुरु गोविंद सिंह ने पुष्कर में स्नान किया। गुरु गोविंद सिंह नारायणा में दादूपंथ के पांचवें गुरु जैतराम महाराज से मिले। संत दादू दयालजी की सिख गुरु अर्जुनदेव महाराज से मुलाकात थी। बालानंद मठ की नागा सेना, अखाड़ों की सिख गुरुओं से निकटता रही। बंदा बैरागी की भी बालानंदजी के गुरु विरजानंदजी से मित्रता रही। पाकिस्तान स्थित हिंगलाज माता मंदिर को बचाने के सैनिक अभियान में सिखों की सेना का बालानंदी संतों ने सहयोग किया। बालानंद मठ के एडवोकेट देवेन्द्र भगत के मुताबिक गुरु गोविंद सिंह के साथ बालानंदी गुरुओं के साथ हुए पत्राचार का कुछ रेकॉर्ड मठ में मौजूद हंै। गुरु गोविंद सिंह की तलवार भी सिटी पैलेस के पूजा घर में है। ब्रिगेडियर भवानी सिंह की पत्नी पद्मनी देवी हिमाचल के सिरमौर स्थित पीहर से यह तलवार जयपुर लार्इं। गुरु गोविंद सिंह ने यह तलवार सिरमौर महाराजा वेदनी प्रकाश को सन् १६७४ में भेंट की थी। आमेर नरेश जयसिंह प्रथम तो गुरु हरकृष्ण साहब के भक्त रहे। सन् १६६४ में महाराजा ने गुरुजी को दिल्ली के जयसिंहपुरा स्थित महल में बुलाया था। गुरु हरकृष्ण के आशीर्वाद से जयसिंह प्रथम की महारानी का असाध्य रोग ठीक हो गया तब महाराजा ने अपना महल गुरु हरकृष्णजी के चरणों में समर्पित कर दिया। यह महल गुरुद्वारा बंगला साहब के नाम से विख्यात है। जयसिंह ने ऐसी डिजायन का एक महल जयसिंहपुरा खोर में बनाया जिसमें अब सरकारी स्कूल चलता है। सरदार इंदर सिंह कुदरत के मुताबिक आमेर नरेश मानसिंह प्रथम कुंदन जड़ाई के पांच सूर्यवंशी कारीगरों सरदार गोमा सिंह ,धन्ना सिंह, गोपाल सिंह और हजारी को आमेर लाए थे। इस खानदान के पद्मश्री सरदार कुदरत सिंह ने कुंदन जड़ाई को विश्व प्रसिद्ध किया। जयसिंह द्वितीय ने चौड़ा रास्ता में जडिय़ों का रास्ता बनाया। चौड़ा रास्ता स्थित जयपुर के पहले गुरुद्वारा में गुरु गोविंद सिंहजी की दसवीं वाणी का हस्तलिखित दुर्लभ ग्रंथ होने से इस गुरुद्वारा का विश्व में बड़ा महत्व है। किशनपोल में खोले हुनरी मदरसा में सरदार हजारी सिंह, मास्टर रावल सिंह, सरदार करतार सिंह, सरदार कुदरत सिंह आदि ने सेवाएं दी। सन् १९३५ के जयपुर गजट ने जयपुर रियासत में सिखों की जनसंख्या १८९ और जयपुर शहर में ११७ बताई है।

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