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जयपुर

सोशल मीडिया पर जनता की आंखों में धूल झोंकने वाले काले कानून का हो रहा जमकर विरोध

सोशल मीडिया पर लगातार इस अध्यादेश का विरोध हो रहा है।

जयपुरNov 02, 2017 / 04:20 pm

rajesh walia

Social media protest against Rajasthan Goverment Ordinance
जयपुर।

राजस्थान सरकार ने सरकार ने 13 अक्टूबर को ‘फरमान’ जारी किया। इसमें राजस्थान सिविल सेवा वर्गीकरण एवं नियंत्रण अपील नियम-17 के अधीन जिला कलक्टर को विशेष रूप से सशक्त करने के लिए लघु शक्तियां (अधिकतम तीन वेतन वृद्धि रोकने तक) दी हैं। राजस्थान सरकार ने अपने काले कानून के साय से आपातकाल को भी पीछे छोड़ दिया है। देशभर में इस कानून का विरोध हुआ लेकिन सरकार ने कानून वापस नहीं लिया, कहने को तो प्रवर समिति को सौंप दिया, किन्तु कानून आज भी लागू है।
सोशल मीडिया पर लगातार बढ़ता विरोध..
सरकार के क्रिमिनल लॉ राजस्थान अमेंडमेंट ऑर्डिनेंस 2017 का विरोध तेज हो गया है। सोशल मीडिया पर लगातार इस अध्यादेश का विरोध हो रहा है। बिल के पक्ष-विपक्ष में ट्विटर वॉर चल रही है। इस कानून को लेकर सोशल मीडिया पर लोग बेहद गुस्से में है। सोशल मीडिया पर इस कानून के विरोध में लगातार ट्वीट किए गए।

अध्यादेश के विरोध में ऐसे आये कमेंट…

1. कुमार विश्वास ने लिखा, ”जिंदाबाद स्व. कर्पूर चंद्र कुलिश की परम्परा ही यह साहस कर सकती है। पत्रिका-परिवार व श्री गुलाब कोठारी की निर्भीकता को प्रणाम
kumar
2. अरविंद केजरीवाल ने कहा..

arvind
3. बोधिसत्व सेन रॉय ने कहा..

bodhi
4. निधि ने कहा..

nidhi
फेसबुक पर भी लोगों ने सरकार के इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। वबता दें कि दागी लोकसेवकों का नाम पता उजागर होने से रोकने के लिए दुष्कर्म पीड़िता को संरक्षण देने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 228 ए के बाद धारा 228 बी जोड़ी गई है। हालांकि, श्री कटारिया और संसदीय कार्यमंत्री राजेंद्र राठौर ने विधेयक का विरोध कर रहे सदस्यों को आश्वासन दिया कि चर्चा के दौरान उनकी शंकाओं का समाधान किया जाएगा।
राजस्थान पत्रिका ऐसा बीज है जिसके फल जनता को ही समर्पित हैं। अत: हमारे सम्पादकीय मण्डल की सलाह को स्वीकार करते हुए निदेशक मण्डल ने यह निर्णय लिया है कि जब तक मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे इस काले कानून को वापस नहीं ले लेतीं, तब तक राजस्थान पत्रिका उनके एवं उनसे सम्बन्धित समाचारों का प्रकाशन नहीं करेगा। यह लोकतंत्र की, अभिव्यक्ति की, जनता के मत की आन-बान-शान का प्रश्न है।

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