पुस्तकें दान करके भी आप घर में परोपकार का माहौल बना सकते हैं। अपने बच्चों की पुरानी हो चुकी किताबें या फिर अपनी लाइब्रेरी में रखी कई ऐसी किताबें जो दूसरों के लिए उपयोगी हो सकती हैं, आप उन्हें दान कर सकते हैं।
आप साल में एक बार अपने सब घर वालों के इस तरह के कपड़े इकट्ठे करें जो आप इस्तेमाल नहीं कर रहे और दूसरों के काम आ सकते हैं। इन कपड़ों को आप जरूरतमंद लोगों या किसी संस्था को दे सकते हैं। बच्चों के हाथों से ये दिलाए जा सकते हैं।
घर में बच्चों के कई खिलौने होंगे। कई ऐसे खिलौने होंगे जिनसे बच्चा खेलता नहीं होगा। ऐसे खिलौने इकट्ठा करके जरूरतमंद बच्चों के सेंटर पर दिए जा सकते हैं। बच्चों के हाथों से यह खिलौने दिए जाएं ताकि उनमें देने का भाव मजबूत हो।
खरीदारी में भी जरूरतमंद दुकानदारों को तरजीह दे सकते हैं। कई लोग छोटी-मोटी चीजें बेचकर सुबह-शाम का जुगाड़ करते हैं। बड़े व्यापारियों के बजाय इनसे खरीदकर इनके मददगार बन सकते हैं। प्रोडक्ट
बाजार में कई ऐसे प्रोडक्ट भी मिल जाते हैं जिनसे कमाई का एक हिस्सा समाजसेवा के लिए होता है। ऐसा कोई प्रोडक्ट है तो हम उसे खरीदकर समाजसेवा के उस मिशन के भागीदार बन सकते हैं।
घर में बड़ों को बीच-बीच में रक्तदान करना चाहिए। जब कभी भी रक्तदान करें तो साथ में बच्चों को भी ले जाएं और उन्हें रक्तदान की अहमियत बताएं। इस मौके पर बच्चों को समझााएं कि रक्तदान से किस तरह जिंदगियां बचा सकते हैं।
परिवार और बच्चों में परोपकार का जज्बा पैदा करने का एक तरीका यह भी है कि किशोर बच्चे या बच्ची को मोहल्ले के समाजसेवी संगठन से जुड़ी गतिविधियों में हिस्सा लेने दें। उन्हें पर्यावरण, शिक्षा, समाज के मुद्दों में भागीदार बनाएं।
आप घर में खाने की एक टोकरी अलग से रखें और घर में बनने वाले भोजन में से कुछ हिस्सा निकालें और इसमें रखें। इस भोजन को किसी जरूरतमंद तक पहुंचाएं। बच्चों को साथ लेकर उनके हाथों से यह खाना भूखों को दिलवाएं।
घर में जब कभी भी साथ बैठे हों तो दूसरों की मदद कैसे की जा सकती है, इसको चर्चा का विषय बनाएं। वे तरीके खोजें, बताए जाएं और इन पर विचार-विमर्श किया जाए। इससे मदद करने के कई तरीके सामने आएंगे और घर में परोपकार का माहौल बनेगा।