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जयपुर

राहुल-प्रियंका प्रचार में व्यस्त, सोनिया जुटी सरकार बनाने की रणनीति में!, वरिष्ठ नेताओं की बनाई टीम

चिदम्बरम, पटेल, आजाद, गहलोत, कमलनाथ सहित वरिष्ठ नेताओं को यूपीए-3 की सौंपी जिम्मेदारी

जयपुरMay 16, 2019 / 10:34 pm

pushpendra shekhawat

rahul gandhi priyanka gandhi and sonia gandhi

राहुल-प्रियंका प्रचार में व्यस्त, सोनिया जुटी सरकार बनाने की रणनीति में!, वरिष्ठ नेताओं की बनाई टीम

जयपुर। देश में लोकसभा चुनाव ( Loksabha Election ) के अंतिम चरण का प्रचार थमने वाला है। इस बीच संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ( Sonia Gandhi ) ने केन्द्र में गैर भाजपा सरकार बनाने के लिए मोर्चा संभाल लिया है। वे दो दिनों से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर चुनावी फीडबैक ले रही हैं। साथ ही एनडीए एवं यूपीए से अलग गैर गठबंधन पार्टियों के नेताओं से संपर्क साधने की रणनीति में जुट गई है। राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) और प्रियंका गांधी ( Priyanka Gandhi ) प्रचार में प्रचार में व्यस्त होने की वजह से सोनिया ने यह जिम्मा संभाला है। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद 23 मई को ही सोनिया की निर्गुट दलों (नॉन अलायन्स पार्टी) के नेताओं से मीटिंग की योजना है।
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक फीडबैक में पता चला कि देश में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत मिलना मुश्किल है। ऐसे में कांग्रेस ने सरकार बनाने के लिए भाजपा से नाराज सभी दलों को साथ लेकर एक जाजम पर बैठाने की रणनीति पर काम शुरू किया है। इसे लेकर सोनिया ने बुधवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदम्बरम ( P Chidambaram ), राष्ट्रीय महासचिव अहमद पटेल और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद सहित अन्य कुछ नेताओं से मुलाकात की। अब गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Cm Ashok Gehlot ) भी सोनिया से मिलने पहुंचे। उनकी सोनिया से 30 मिनट से ज्यादा मुलाकात चली।
सूत्रों के मुताबिक सोनिया ने यूपीए-3 के संभावित स्वरूप पर कार्य करने के लिए वरिष्ठ नेताओं की टीम बनाई है। इसमें मुख्यमंत्री गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, चिदम्बरम, पटेल और गुलाम नबी सहित कुछ अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने सरकार बनाने को लेकर रणनीति पर मंथन तो तेज कर दिया है। लेकिन कांग्रेस की कोर टीम के बड़े नेताओं को राहुल गांधी के चेहरे पर एकजुट करने में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। इसकी वजह यह है कि जिन दलों की कांग्रेस के बराबर तो नहीं लेकिन अपेक्षाकृत ज्यादा सीटें आएंगी, वे भी प्रधानमंत्री पद के लिए दावा कर सकते हैं। या फिर कुछ दल कांग्रेस पार्टी के अलावा अन्य किसी दल के बड़े नेता का नाम आगे ला सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस की कोर टीम के सदस्य जिन्हें यूपीए-3 की रणनीति में लगाया गया है। उन्हें परेशानी आ सकती है।
एनडीए से नाराज घटक को भी जोडऩे का लक्ष्य
सोनिया ने अपनी टीम को एनडीए के उन घटक दलों से भी संपर्क साधने का लक्ष्य दिया गया है, जो भाजपा से नाराजगी के बावजूद चुनाव से पहले एनडीए में शामिल हुए। या प्रचार के दौरान उन्होंने दूरी बनाना शुरू कर दिया। कांग्रेस ने एनडीए के ऐसे दो घटक दल शिवसेना और जदयू से सम्पर्क साधने की कोशिश शुरू कर दी है।
यों बनाई रणनीति
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की टीम सभी दलों के नेताओं को पहले यूपीए में शामिल होने का न्यौता देगी। यदि वे शामिल नहीं होते हैं तो बाहर रहकर समर्थन देने के लिए राजी किया जाएगा। कांग्रेस नेताओं की मानें तो पार्टी को लोकसभा चुनाव परिणाम से पूर्व ही एहसास हो गया है कि पार्टी को अकेले के दम पर पूर्ण बहुमत मिलना मुश्किल हैं। ऐसे में सभी को साथ लेने की मुहिम तेज की गई है।
इन दलों को साधने की कोशिश
कांग्रेस के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की टीम को 23 मई से पहले वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी, टीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव, बीजद प्रमुख नवीन पटनायक, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ( akhilesh yadav ), बसपा प्रमुख मायावती ( Mayawati ), आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) और वामपंथी दलों के नेताओं से वार्ता कर उन्हें साधने का लक्ष्य दिया गया है।

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