शिवसेना की सांप्रदायिक नीतियों पर सोनिया चाहती हैं पवार से आश्वासन
महाराष्ट्र: सरकार गठन दिसंबर में संभव
शिवसेना की सांप्रदायिक नीतियों पर सोनिया चाहती हैं पवार से आश्वासन
मुंबई. महाराष्ट्र में सरकार गठन के सवाल पर मंगलवार को एनसीपी व कांग्रेस की बैठक नहीं हो सकी। कांग्रेस ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की जयंती की वजह से बैठक टाल दी। अब यह बुधवार को होगी।
हालांकि कहा जा रहा है कि सरकार गठन के फॉर्मूले पर खींचतान नहीं है। शिवसेना से उद्धव ठाकरे सीएम बन सकते हैं। राकांपा के खाते में गृह मंत्रालय, राजस्व व पीडब्ल्यूडी विभाग के साथ डिप्टी सीएम का पद भी जा सकता है। कांग्रेस को भी डिप्टी सीएम की कुर्सी मिल सकती है। विधानसभा अध्यक्ष भी कांग्रेस का हो सकता है। इस पर तीनों पार्टियां राजी हैं लेकिन सरकार गठन को लेकर फैसला नहीं हो सका है। इसकी वजह कांग्रेस का धर्मनिरपेक्षता का आधार है जिसके लिए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार से शिवसेना को लेकर ठोस वादा चाहती हैं। वह चाहती हैं कि पवार गारंटी दें कि शिवसेना भविष्य में सांप्रदायिक नीतियों को नहीं दोहराएगी। पवार इसी पर दुविधा में हैं और राय व्यक्त नहीं कर पाए हैं।
केरल लॉबी खिलाफ
सू त्र बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी की केरल लॉबी शिवसेना के साथ जाने के खिलाफ है। उसका तर्क है कि लोस चुनाव में मुस्लिम वोटरों की मदद से कांग्रेस ने केरल में सीपीएम को हराया था। ऐसे में शिवसेना के साथ जाने से ये वोटर सीपीएम के साथ चले जाएंगे। वहीं, महाराष्ट्र के नेताओं का कहना है कि केरल में अगर मुस्लिम लीग जैसी अतिवादी पार्टी से कांग्रेस का सहयोग हो सकता है तो शिवसेना से क्यों नहीं?
पवार के बयान को समझने के लिए सौ जन्म लेने होंगे
नई दिल्ली. शिवसेना ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि पवार क्या कहते हैं, इसे समझने के लिए 100 जन्म लेने होंगे। शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा, ‘पवार क्या कहते हैं, इसे समझने के लिए 100 बार जन्म लेना पड़ेगा।Ó शिवसेना सांसद मंगलवार शाम दिल्ली स्थित अपने घर पर मीडिया से बातचीत कर रहे थे। इसी दौरान पवार के लगभग ‘यू-टर्नÓ लेने वाले बयान पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में राउत ने यह बात कही।
गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद पवार ने यह कहकर सबको चौंका दिया था कि हमारी महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई। इसे शिवसेना के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था, जो प्रदेश में गठबंधन सरकार का सपना संजो रही है।
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