चूहों पर हुए शोधों के मुताबिक, पटेटो रेसिस्टेंट स्टार्च लेने से कोलोनिक प्रोबायोटिक्स की ग्रोथ बढ़ती है। जिन चूहों को पटेटो फाइबर खिलाए गए, उनमें शॉर्ट चेन फैटी एसिड कंस्ट्रेशन की बढ़ोतरी हुई। ये फैटी एसिड पेट में माइक्रोबायोटा बढ़ाते हैं और इंफ्लेमेशन से लड़ते हैं।
ग्रेन्स
ग्रेन्स सभी स्टार्च में सबसे ज्यादा पोषक होते हैं। यह खासकर पेट के लिए काफी अच्छे होते हैं। ***** ग्रेन्स का स्टार्च पेट में जाकर फर्मनटेड होता है और शॉर्ट चेन फैटी एसिड ब्यूटायरेट बनाना है, जो पेट को हेल्दी रखने का काम करता है। कई ग्रेन्स में मौजूद स्टार्च मोटापे, डायबिटीज और कैंसर से बचाता है।
चावल
चावल स्टार्च का बढिय़ा सोर्स है। चावल में मौजूद एक स्टार्च पचने में कई घंटे लेता है। यह स्टार्च टाइप 5 रेजिस्टेंट स्टार्च कहलाता है और बहुत ही अच्छा डायटरी फाइबर है। इससे आपको घंटों तक भूख नहीं लगती। हालांकि चावल खाने के साथ-साथ आपको व्यायाम पर भी जोर देना चाहिए।
बीन्स
बीन्स भी रेजिस्टेंट स्टार्च के बहुत अच्छे सोर्स हैं। शोध बताते हैं कि खाने की जिन चीजों में रेजिस्टेंट स्टार्च होता है, वह भूख देर से लगने देते हैं और ब्लड ग्लूकोस लेवल बहुत ज्यादा नहीं बढऩे देते। बींस में लाइसिन नामक अमीनो एसिड होता है। बींस के सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा भी कम होता है।
दालों में 35फीसदी डाइजेस्टेबल स्टार्च और 65 फीसदी रेजिस्टेंट स्टार्च होता है। इसका यह मतलब यह है कि शरीर बहुत ज्यादा दाल पचा नहीं पाता। इसलिए इसका ब्लड ग्लुकोस लेवल पर असर कम होता है। इसमें डायटरी फाइबर भी होता है।
व्होल व्हीट ब्रेड गेहूं से बनी होती है। शोध साबित कर चुके हैं कि साबुत अनाज मोटापा, कैंसर, टाइप टू डायबिटीज और दिल की बीमारियों से बचाते हैं। गेहूं में डायटरी फाइबर्स, फाइटोकैमिकल्स और दूसरे महत्त्वपूर्ण माइक्रोन्यूट्रीएंट्स होते हैं।