न्यायाधीश के एस आहलुवालिया ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी व अधिकरण के जज सेवाराम स्वामी की याचिका पर यह आदेश दिया है। प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता संजय शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राजेन्द्र कुमार ने सांगानेर के उपखंड अधिकारी-द्वितीय न्यायालय में राजस्व मामला दायर किया, जिस पर 17 मई 18 को परिवादी के खिलाफ फैसला हो गया। इसके खिलाफ राजस्व अपीलीय अधिकरण में अपील दायर हुई, जहां याचिकाकर्ता पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्यरत था। अपील से जुड़े विरोधी पक्ष ने केविएट दायर की हुई थी। जुलाई में राजस्व न्यायालय के फैसले की पालना पर रोक लगा दी गई, जिसे ३१ अगस्त को स्थायी कर दिया गया। अपील से जुड़े विरोधी पक्ष में शामिल मोहन लाल ने इस आदेश के खिलाफ अपील करने के बजाय जयपुर महानगर न्यायालय क्षेत्र के महानगर मजिस्ट्रेट क्रम संख्या-17 में आरएए जज के खिलाफ परिवाद पेश किया, जिस पर बनीपार्क थाने में एफआइआर दर्ज हुई।
प्रार्थीपक्ष ने इस एफआइआर को चुनौती देते हुए कहा कि किसी भी न्यायालय के जज के खिलाफ न्यायिक कार्यवाही को लेकर एफआइआर दर्ज नहीं हो सकती। फैसले को लेकर कोई व्यथित है, तो वह ऊपरी अदालत में उसके खिलाफ अपील दायर कर सकता है। जज को न्यायिक कार्यवाही के मामले में कानून के जरिए संरक्षण मिला हुआ है, इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआइआर को रद्द किया जाए।