उन्होंने बताया कि आरोपी विकास गोवा में रहकर ट्रांसपोर्ट कंपनी से पिकअप और मजदूर हायर करता। इसका वह कंपनी को पैमेंट भी करता। उसके बाद मजदूरों को बीएसएनएल टावर की बैटरी खोलने के लिए पता बताता। मजदूरों को बोलता था यदि कोई रोक-टोक करे तो तुरंत मुझसे बात करवा देना। मजदूर जब किसी को आरोपी से बात करवाते तो खुद को बीएसएनएल का अधिकारी बताकर रौब दिखाता। गौरतलब है कि विद्याधर नगर थाना पुलिस ने बियानी कॉलेज में लगी बीएसएनएल टावर की बैटरियां चुराने के मामले में मुख्य सरगना कोटा निवासी विकास को गिरफ्तार किया था। इससे पहले पुलिस ने कोतवाली टोंक पुलिस ने इस प्रकरण में सीकर रोड निवासी सुरेन्द्र उर्फ सोनू शर्मा और रोड नंबर 9 निवासी ब्रजेश कुमार शुक्ला को पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार किया था।
नेट पर ही ढूंढता था टावर की लोकेशन
पुलिस ने बताया कि आरोपी इतना शातिर था कि वह इंटरनेट के माध्यम से मोबाइल टावर की लोकेशन ढूंढता था। ऐसे टावर को सर्च करता जो किसी स्कूल-कॉलेज या सार्वजनिक स्थलों और ऐसी बिल्डिंग जिसका कोई धणी-धौरी नहीं है, ताकि वह आसानी से अपने काम को अंजाम दे सके।
कबाडिय़ों से थी सेटिंग
आरोपी बाड़मेर, जालौर, सिरोही, कोटा, पाली, टोंक, अजमेर जहां-जहां भी बैटरियां खुलवाता वहां कबाडिय़ों से सांठ-गांठ होती थी। मजदूरों से वह बैटरियां खुलवाता और उनको कबाड़ी तक पहुंचाने के लिए कहता। मजदूर कबाड़ी को बैटरी देकर चले जाते। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि बीस बैटरी के सेट जिनकी कीमत लगभग तीन लाख रुपए होती है उन्हें 80 हजार रुपए में बेच देता था। कबाड़ी से बैटरियों के रुपए ऑनलाइन पेमेंट ऐप के माध्यम से खाते में डलवा लेता था। अब तक करीब अस्सी बैटरी बेच चुका था।