-पांच सदस्यों वाली बेंच ने याचिकाओं को सुनने योग्य नहीं माना। पीठ ने बंद कक्ष में सुनवाई की और फिर फैसला सुनाया।
– नौ याचिकाएं उस पक्ष से थीं जो मूल याचिकाओं से जुड़े थे। शेष नौ याचिकाएं तीसरे पक्ष (थर्ड पार्टी) की थीं।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना। मुस्लिम लॉ बोर्ड व निर्मोही अखाड़े की दलील
– मुस्लिम पक्ष ने याचिका में 14 बिंदुओं पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया गया था।
– बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण का निर्देश देकर ही इस प्रकरण में ‘पूर्ण न्याय’ की मांग उठाई थी।
– निर्मोही अखाड़ा ने फैसले के खिलाफ नहीं बल्कि शैबियत अधिकार, कब्जे और लिमिटेशन के फैसले पर अर्जी लगाई थी।
-शीर्ष अदालत से राम मंदिर के ट्रस्ट में भूमिका तय करने की भी मांग की थी।
हमारी पुनर्विचार याचिका पर विचार नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है। हम अभी इस बारे में कुछ नहीं कह सकते कि हमारा अगला कदम क्या होगा? -जफरयाब जिलानी, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील