ज्योतिषाचार्य पंडित एम कुमार शर्मा के अनुसार सप्तमी तिथि भगवान सूर्य को बहुत प्रिय है। यही कारण है कि इस दिन सूर्य उपासना का त्वरित फल मिलता है। सप्तमी पर सूर्योपसाना से संतान सुख मिलता है। इस संबंध में वैदिक और पौराणिक ग्रंथों में भी उल्लेख किया गया है। मान्यता है कि इसी तिथि को सूर्य देव को दिव्य रूप प्राप्त हुआ था।
सूर्य देव की पत्नी संज्ञा, सूर्य के तेज को सहन नहीं कर पाती थीं इसलिए उन्होंने छाया के रूप में अपना प्रतिरूप रचा और तपस्या करने चली गईं। जब सूर्य देव को यह बात पता चली तो वे संज्ञा को खोजने निकले। उन्हें सप्तमी तिथि के दिन संज्ञा दोबारा प्राप्त हुईं। इसी तिथि पर उन्हें संतान सुख भी मिला. इसी कारण सप्तमी तिथि उन्हें बेहद प्रिय है।
भविष्य पुराण के ब्राह्मपर्व में श्रीकृष्ण द्वारा अपने पुत्र सांब को सूर्य पूजा का महत्व बताने का उल्लेख किया गया है। संतान प्राप्ति के लिए रोज सुबह सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए। आदित्य ह्र्दय स्त्रोत्र का पाठ चमत्कारिक फल देता है। संभव हो तो रोज तीन बार आदित्य ह्र्दय स्त्रोत का पाठ करें।