खुद पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा था कि पार्टी अब महंगाई के मुद्दे को गांव-ढाणी तक लेकर जाएगी और 29 जुलाई को इसकी पूरी रूपरेखा का ऐलान किया जाएगा। दरअसल 29 जुलाई को गोविंद सिंह डोटासरा ने पीसीसी चीफ के तौर पर कार्यभार संभालने का 1 साल पूरा किया है इस दिन उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पूरे कार्यक्रम का ऐलान करना था।
लेकिन इसी बीच दिल्ली से नेताओं के दौरे शुरू हो गए और पूरी पार्टी सियासी असमंजस में उलझ गई। अभी भी मंत्रिमंडल पुनर्गठन, राजनीतिक नियुक्ति और संगठनात्मक नियुक्तियों जैसे मसलों को लेकर असमंजस की स्थितियां चल रही है लिहाजा महंगाई जैसे जनता से जुड़े मुद्दों पर पार्टी का ध्यान नहीं है।
जबकि पिछले दिनों पार्टी ने महंगाई के मुद्दे पर पार्टी ने सघन अभियान चलाया था और इस पर जनता का अच्छा रिस्पॉन्स भी मिला था। इसी से उत्साहित पार्टी ने अभियान का विस्तार करने की बात कही थी।
रोडमैप तैयार लेकिन मंजूरी नहीं
दरअसल महंगाई के खिलाफ गांव-ढाणियों में शुरू होने वाले अभियान का रोडमैप तो पार्टी नेताओं ने तैयार कर लिया है, लेकिन सत्ता और संगठन में सियासी उठापटक होने के चलते महंगाई के खिलाफ गांव-ढाणियों में शुरू किए जाने वाले अभियान को मंजूरी ही नहीं मिल पा रही है, आगे ये अभियान शुरू भी पाएगा या फिर नहीं इसे लेकर भी संशय बना हुआ है, पार्टी नेता भी इसपर कुछ बोलने को तैयार नहीं है। वहीं चर्चा ये भी है कि जब तक सियासी उलझनें सुलझ नहीं जाती हैं तब तक संगठन के स्तर पर महंगाई के खिलाफ अभियान को शुरू करने का फैसला नहीं लिया जाएगा।
संगठन विस्तार भी लगा ब्रेक
इधर मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर चल रही खींचतान के चलते संगठन विस्तार पर भी ब्रेक लग गया है। पार्टी में जिलाध्यक्षों, ब्लॉक अध्यक्षों व प्रदेश कार्यकारिणी का विस्तार कब होगा इसे लेकर भी अब संशय बना हुआ है। सूत्रों की मानें तो पहले माना जा रहा था कि मंत्रिमंडल फेरबदल से पहले संगठन का विस्तार हो जाएगा लेकिन इन दिनों मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर चल रही खींचतान में संगठन विस्तार के काम को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है, जिससे पार्टी के हजारों कार्यकर्ता संगठनात्मक कामकाज से दूरी बनाए हुए हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस में 39 जिलाध्यक्षों, 400 ब्लॉक अध्यक्षों और प्रदेश कार्यकारिणी का विस्तार होना है, कांग्रेस हलकों में चर्चा है कि संगठन विस्तार का मामला ठंडे बस्ते में जाने से विधानसभा उपचुनाव और पंचायत चुनाव प्रभावित हो सकते हैं साथ ही 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को संगठन विस्तार में देरी का खमियाजा भुगतना पड़ सकता है।