हिंदू धर्म में दलित शब्द है ही नहीं। यह शब्द मानवों का गढ़ा हुआ है, जिसका अर्थ होता है पीडि़त या सताया हुआ। हनुमान भगवान शंकर के अवतार हैं। हनुमान कब और कहां पीडि़त, शोषित दिखते हैं? जिसके नेतृत्व में वानरी सेना ने रावण की सेना को पराजित किया हो, वह दलित कैसे हो सकता है? स्वरूपानंद ने कहा कि इनके पास कोई काम है नहीं।
ऐसे में लोगों को भ्रमित करने के लिए इसी तरह का अनाप-शनाप बयान देते रहते हैं। लोकतंत्र में सरकार जनता की प्रतिनिधि होती है। लेकिन ये सरकार डिक्टेटर बनती जा रही है। तीन हजार करोड़ रुपये खर्च कर गुजरात में सरदार पटेल की प्रतिमा बनी, क्या उतने पैसे से अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन सकता था।