राज्य———–सीट——-प्रत्याशी—–दागी———-गम्भीर आरोप वाले
पश्चिम बंगाल—-222——1565——-391————321
तमिलनाडु——234——-3998——466———–207
केरल———-140——–928——-355———-167
असम———126———946——-138————109
पुडुचेरी——-30———–324——–54————-28
पश्चिम बंगाल के आंकड़े छठवें चरण तक के हैं आगे आए सुप्रीम कोर्ट
पहले राजनीतिक दल बाहुबलियों से बूथ कैप्चरिंग करवाते थे। जीतने की सम्भावना अधिक होने से राजनीतिक दल अब इन्हें ही टिकट देते हैं। जनता के पास विकल्प नहीं रहता और ये जीतते रहते हैं। रोकने का एक तरीका है, चुनाव से 6 माह या एक साल पहले 2 साल से अधिक सजा वाला मुकदमा दर्ज होने और चार्ज फ्रेम होने पर चुनाव लड़ने की इजाजक नहीं दी जाए। काम संसद का है लेकिन कानून बन नहीं रहा इसलिए सुप्रीम कोर्ट आदेश दे।
प्रो. जगदीप एस. छोकर, सह संस्थापक, एडीआर
सुप्रीम कोर्ट जो कर सकता है वह आदेश दे रखे हैं। बाहुबली चुने जाते हैं, चुनाव में जाति-धर्म का प्रभाव है। उत्तरप्रदेश, दक्षिणी राज्यों व बिहार में जाति-धर्म का मुद्दा चलता है। स्थितियों को सुधारने में चुनाव आयोग की प्रमुख भुमिका हो सकती है। चुनाव के कानून बदले जाएं। चुनाव सुधार पर समग्र काम करना होगा।
मुकुंदकम शर्मा, पूर्व न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट