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जयपुर

20 हजार रुपए किश्त, सब्जी न बेचें तो कर्जा कैसे चुकाएंगे

कोरोना ने बदल दिया ढर्रा: लाखों रुपए की गाड़ी में बेच रहे सब्जी

जयपुरMay 22, 2020 / 08:20 pm

Ashwani Kumar

20 हजार रुपए किश्त, सब्जी न बेचें तो कर्जा कैसे चुकाएंगे

20 हजार रुपए किश्त, सब्जी न बेचें तो कर्जा कैसे चुकाएंगे

-शहर में 35 हजार टैक्सी लगी हुई हैं पर्यटन उद्योग से, अब तक किसी ने नहीं की सुनवाई

जयपुर. कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से लोगों के रहन सहन से लेकर रोजी रोटी कमाने का ढर्रा तक बदल गया है। राज्य का न सिर्फ पर्यटन उद्योग प्रभावित हुआ है, बल्कि इससे जुड़े लोगों के सामने भी रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। सैलानी जिन लग्जरी गाडिय़ों में बैठकर गुलाबी नगरी की सैर करते थे, वे गाडिय़ां या तो खड़ी धूल फांक रही हैं या फिर कोई और काम करने के लिए मजबूर हो गए हैं। शुक्रवार दोपहर को वैशाली नगर में एक ऐसी ही गाड़ी दिखाई दी, जिसकी डिग्गी खुली हुई थी और उसमें टमाटर, तरबूज और खरबूज रखे हुए थे। पास पहुंचे तो गाड़ी चालक ने पूछ लिया क्या लोगे? बातचीत करने पर गाड़ी चालक ही नहीं, बल्कि मालिक भी है। उसने बताया कि 20 हजार रुपए गाड़ी की किश्त है। दो महीने से घर बैठकर खा रहे हैं। ऐसे समय में कोई गाड़ी भी किराए पर नहीं ले रहा है। सब्जी बेचने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं दिखाई दिया।

80 फीसदी गाडिय़ां लोन पर
टैक्सी एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मानें तो शहर में 35 हजार टैक्सी हैं। इनमें से 80 फीसदी गाडिय़ां लोन पर है। किश्त भी औसतन 14 हजार से लेकर 35 हजार रुपए तक हैं। ऐसे में किश्त चुकाना किसी भी वाहन मालिक के लिए चुका पाना आसान नहीं है। इतना ही नहीं, 75 फीसदी ड्राइवर लॉकडाउन की वजह से अपने गांव चले गए।
तीन महीने से ठप, अभी उम्मीद भी नहीं
टैक्सी संचालकों का कहना है कि अब मार्च से ही आवाजाही ठप है। इस स्थिति में विदेशी सैलानियों की आवाजाही कम से कम 10 महीने नहीं होनी। देसी सैलानी भी गाड़ी किराए पर लेने से डरेंगे। राजधानी में सबसे अधिक सैलानी इटली, अमरीका और यूरोपीय देशों से आते हैं।
वर्जन…
परिवहन विभाग से लेकर सरकार के आला अधिकारियों से मिलकर दिक्कत बताने की कोशिश की, लेकिन अब तक किसी ने कोई समय नहीं दिया। 35 हजार टैक्सी संचालकों का भविष्य अंधकार में हैं। इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
-प्रदीप पाराशर, प्रदेश महासचिव, ऑल राजस्थान टूरिस्ट कार एसोसिएशन

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