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जयपुर

BRTS कॉरिडोर पर टेंशन

Traffice Police और JDA के आपसी विवाद में पिस रही जनता
बीआरटीएस कॉरिडोर को कर दिया बंद

जयपुरNov 21, 2019 / 01:45 pm

Bhavnesh Gupta

BRTS कॉरिडोर पर टेंशन

BRTS कॉरिडोर पर टेंशन

जयपुर। शहर में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की मुहिम को एक बार फिर झटका लगा है। जेडीए की ओर से बनाए गए बीआरटीएस कॉरिडोर को यातायात पुलिस ने बंद कर दिया है। न्यू सांगानेर रोड पर करीब 4 किलोमीटर लम्बे बीआरटीएस कॉरिडोर के दोनों तरफ बेरिकेड्स लगाए दिए गए। नतीजा, अब लो-फ्लोर सहित अन्य बसें सामान्य वाहनों के बीच ही चल रही हैं। इससे लोगों के गंतव्य स्थान तक जल्द पहुंचने की उम्मीद टूट गई है। साथ ही जयपुर विकास प्राधिकरण और यातायात पुलिस के बीच चल रही रस्साकशी भी सामने आ गई है। यातायात पुलिस का कहना है कि बीआरटीएस कॉरिडोर सड़क दुर्घटना को बढ़ा रहा था। पिछले एक माह में कई दुर्घटनाएं हो चुकी है। कॉरिडोर के बीच-बीच में चौराहों पर छोड़े गए कट पर यू-टर्न लेने वाले वाहन चालक ज्यादा हादसे का शिकार हुए हैं। हालांकि, सुगम यातायात संचालन का काम ट्रेफिक पुलिस का ही है लेकिन उन्होंने कॉरिडोर में आ रही परेशानी को दूर करने की बजाय बंद ही कर दिया।
अपने-अपने तर्क..
बीआरटीएस कॉरिडोर पहले ही सरकार के लिए गले की हड्डी बना हुआ था। अब इसे बंद करने से मामला ज्यादा गरमा गया। कॉरिडोर बंद करने क जानकारी जब जेडीए को हुई तो मौके पर भी पहुंचे। अब यातायात पुलिस को पत्र लिखकर इसका कारण पूछा गया है। आपको बता दें कि जेडीए ने शहर में कॉरिडोर के निर्माण में ५६० करोड़ रुपए खर्च किए हैं, लेकिन ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि कॉरिडोर को क्रॉस करने के दौरान महीने में 30 से 40 हादसे हो रहे हैं। इसलिए अब रिस्क नहीं ले सकते हैं।
राहत की बजाय आफत का कॉरिडोर
-टुकड़ों में बना हुआ है बीआरटीएस कॉरिडोर
-7.1 किलोमीटर लम्बाई में सीकर रोड पर एक्सप्रेस-वे से अम्बाबाड़ी तक कॉरिडोर
-8 किलोमीटर लम्बाई है अजमेर रोड से न्यू सांगानेर रोड तक
-13 किलोमीटर का बीच के हिस्से में कॉरिडोर ही नहीं
-अम्बाबाडी से गवर्नमेंट हॉस्टल, अजमेर पुलिया, सोडाला होते हुए हिस्सा जुड़े तो मिले राहत
-इससे 29 किलोमीटर लम्बाई में एक साथ कॉरिडोर में बसें चल सकेगी
गुजरात से सीखे सरकार
बीआरटीएस बनने के बाद सड़कों से जाम की समस्या दूर होने, गंतव्य स्थान तक जल्द पहुंचने, प्रदूषण कम होने की उम्मीद बंधी थी लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं पाया। इसके पीछे मुख्य वजह राज्य सरकार की इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के प्रति गंभीरता नहीं दिखाना भी है। उलटे, सड़कों का वाहन फ्रेंडली बनाया जा रहा है जिससे सड़क हादसे बढ़ रहे हैं। यातायात पुलिस भी इसके लिए जिम्मेदार है। सरकार चाहे तो गुजरात के राजकोट और अहमदाबाद के बीआरटीएस कॉरिडोर की तर्ज पर यहां भी बेहतर उपयोग कर सकती है। इसके लिए कई बार जेडीए और नगरीय विकास विभाग के अफसर गुजरात का दौरा कर चुके हैं लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा।

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