अपने-अपने तर्क..
बीआरटीएस कॉरिडोर पहले ही सरकार के लिए गले की हड्डी बना हुआ था। अब इसे बंद करने से मामला ज्यादा गरमा गया। कॉरिडोर बंद करने क जानकारी जब जेडीए को हुई तो मौके पर भी पहुंचे। अब यातायात पुलिस को पत्र लिखकर इसका कारण पूछा गया है। आपको बता दें कि जेडीए ने शहर में कॉरिडोर के निर्माण में ५६० करोड़ रुपए खर्च किए हैं, लेकिन ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि कॉरिडोर को क्रॉस करने के दौरान महीने में 30 से 40 हादसे हो रहे हैं। इसलिए अब रिस्क नहीं ले सकते हैं।
बीआरटीएस कॉरिडोर पहले ही सरकार के लिए गले की हड्डी बना हुआ था। अब इसे बंद करने से मामला ज्यादा गरमा गया। कॉरिडोर बंद करने क जानकारी जब जेडीए को हुई तो मौके पर भी पहुंचे। अब यातायात पुलिस को पत्र लिखकर इसका कारण पूछा गया है। आपको बता दें कि जेडीए ने शहर में कॉरिडोर के निर्माण में ५६० करोड़ रुपए खर्च किए हैं, लेकिन ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि कॉरिडोर को क्रॉस करने के दौरान महीने में 30 से 40 हादसे हो रहे हैं। इसलिए अब रिस्क नहीं ले सकते हैं।
राहत की बजाय आफत का कॉरिडोर
-टुकड़ों में बना हुआ है बीआरटीएस कॉरिडोर
-7.1 किलोमीटर लम्बाई में सीकर रोड पर एक्सप्रेस-वे से अम्बाबाड़ी तक कॉरिडोर
-8 किलोमीटर लम्बाई है अजमेर रोड से न्यू सांगानेर रोड तक
-13 किलोमीटर का बीच के हिस्से में कॉरिडोर ही नहीं
-अम्बाबाडी से गवर्नमेंट हॉस्टल, अजमेर पुलिया, सोडाला होते हुए हिस्सा जुड़े तो मिले राहत
-इससे 29 किलोमीटर लम्बाई में एक साथ कॉरिडोर में बसें चल सकेगी
-टुकड़ों में बना हुआ है बीआरटीएस कॉरिडोर
-7.1 किलोमीटर लम्बाई में सीकर रोड पर एक्सप्रेस-वे से अम्बाबाड़ी तक कॉरिडोर
-8 किलोमीटर लम्बाई है अजमेर रोड से न्यू सांगानेर रोड तक
-13 किलोमीटर का बीच के हिस्से में कॉरिडोर ही नहीं
-अम्बाबाडी से गवर्नमेंट हॉस्टल, अजमेर पुलिया, सोडाला होते हुए हिस्सा जुड़े तो मिले राहत
-इससे 29 किलोमीटर लम्बाई में एक साथ कॉरिडोर में बसें चल सकेगी
गुजरात से सीखे सरकार
बीआरटीएस बनने के बाद सड़कों से जाम की समस्या दूर होने, गंतव्य स्थान तक जल्द पहुंचने, प्रदूषण कम होने की उम्मीद बंधी थी लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं पाया। इसके पीछे मुख्य वजह राज्य सरकार की इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के प्रति गंभीरता नहीं दिखाना भी है। उलटे, सड़कों का वाहन फ्रेंडली बनाया जा रहा है जिससे सड़क हादसे बढ़ रहे हैं। यातायात पुलिस भी इसके लिए जिम्मेदार है। सरकार चाहे तो गुजरात के राजकोट और अहमदाबाद के बीआरटीएस कॉरिडोर की तर्ज पर यहां भी बेहतर उपयोग कर सकती है। इसके लिए कई बार जेडीए और नगरीय विकास विभाग के अफसर गुजरात का दौरा कर चुके हैं लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा।
बीआरटीएस बनने के बाद सड़कों से जाम की समस्या दूर होने, गंतव्य स्थान तक जल्द पहुंचने, प्रदूषण कम होने की उम्मीद बंधी थी लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं पाया। इसके पीछे मुख्य वजह राज्य सरकार की इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के प्रति गंभीरता नहीं दिखाना भी है। उलटे, सड़कों का वाहन फ्रेंडली बनाया जा रहा है जिससे सड़क हादसे बढ़ रहे हैं। यातायात पुलिस भी इसके लिए जिम्मेदार है। सरकार चाहे तो गुजरात के राजकोट और अहमदाबाद के बीआरटीएस कॉरिडोर की तर्ज पर यहां भी बेहतर उपयोग कर सकती है। इसके लिए कई बार जेडीए और नगरीय विकास विभाग के अफसर गुजरात का दौरा कर चुके हैं लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा।