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जयपुर

बढ़ सकता है खाद्यान्न संकट

कम हो रही है मिट्टी के पानी सोखने की क्षमता

जयपुरDec 10, 2019 / 08:41 pm

Suresh Yadav

बढ़ सकता है खाद्यान्न संकट

बढ़ सकता है खाद्यान्न संकट

कारण तट, महासागर, पारिस्थितिक तंत्र, मौसम और मानव स्वास्थ्य सभी प्रभावित हो रहे हैं। इसका असर बहुमूल्य मिट्टी पर भी दिख रहा है। ‘साइंस एडवांसेजÓ जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन से दुनिया के कई हिस्सों में धरती के पानी को सोखने की क्षमता कम हो रही है। ऐसा होने पर भूजल का स्तर तो गिरेगा ही। साथ ही, इससे खाद्यान्न उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ेगा और जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र गंभीर रूप से प्रभावित होंगे।
शोधकर्ताओं का कहना है कि कार्बन डाइऑक्साइड जलवायु परिवर्तन से जुड़ी प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों में से एक है।
जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप बारिश के पैटर्न और अन्य पर्यावरणीय परिस्थितियां सारी दुनिया में बदल रही हैं। यही वजह है कि दुनिया के कई हिस्सों में जमीन और पानी का तालमेल बदल सकता है। कार्बन का भंडारण करने के लिए जमीन में पानी आवश्यक है, लेकिन जमीन अथवा मिट्टी में परिवर्तन से हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ सकती है। वैज्ञानिकों ने मध्य-पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका के केंसास में 25 साल के प्रयोग के दौरान स्प्रिंकलर के साथ जमीन की सिंचाई की और पाया कि वर्षा में 35 फीसदी की वृद्धि के कारण मिट्टी में जल के समाने की दर में 21 फीसदी से 33 फीसदी की कमी आई है।

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