-हाईकोर्ट ने कहा… हाईकोर्ट ने कहा कि एसबीयूटी को 1.1 करोड़ रुपए में संपत्ति बेचने की अनुमति देने के चैरिटी आयुक्त का फैसला सही था, क्योंकि इमारत को जीर्ण-शीर्ण कर दिया गया था और ट्रस्टियों के पास इसकी मरम्मत के लिए संसाधन नहीं थे। चैरिटी आयुक्त ने किरायेदारों के हितों की रक्षा की। हाईकोर्ट ने हाजी इस्माइल हाजी हबीब मुसाफिरखाना दुकान किरायेदार फोरम की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में कहा गया था कि इमारत वक्फ बोर्ड की संपत्ति है जिसे बेचा नहीं जा सकता।
-32 दुकानदार व 19 आवासीय मालिकों की याचिका आदेश में यह भी कहा गया कि चूंकि इमारत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में थी और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने घर खाली करने की नोटिस जारी किया था, नवंबर में न्यायालय की ओर से इमारत गिराने पर अंतरिम रोक समाप्त हो गई थी। 32 दुकानों के किरायेदार और 19 आवासीय मालिकों ने इमारत को नहीं गिराने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
-अस्सी साल पुरानी इमारत अदालत को बताया गया कि इमारत 80 वर्ष से भी अधिक पुरानी है। अधिवक्ता सना बुगवाला के माध्यम से किरायेदारों ने कहा कि चैरिटी आयुक्त ने सुप्रीम कोर्ट की आेर से मुस्लिम ट्रस्टों से संबंधित निर्देशों को ध्यान में नहीं रखा था। एसबीयूटी के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि परिसर में एक प्रार्थना कक्ष था, लेकिन इसे मस्जिद के रूप में नहीं बनाया गया था। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट की संपत्तियों के संबंध में हाईकोर्ट की ओर से निर्धारित योजना के अनुसार, एसबीयूटी किरायेदारों को मुफ्त में पुनर्वास करने और प्रार्थना हॉल भी प्रदान करने के लिए तैयार था।