-100 फीट से अधिक चौड़ी सडक़ पर ही सडक़ की चौड़ाई के डेढ़ गुना के बराबर इमारत की ऊंचाई स्वीकृत की जा सकेगी। -12 मीटर या इमारत की ऊंचाई का एक चौथाई, जो भी अधिक होगा उसके अनुसार सेटबैक छोडऩे होगा।
-सभी तरह के भूखंडों के लिए ग्राउंड कवरेज अधिकतम 30 प्रतिशत ही रखा गया है।
-शहरों में मौजूदा कॉलोनियों में बहुमंजिला इमारतों का निर्माण भी किया जा सकेगा। विकसित इलाकों में करना होगा ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर काम
विकसित इलाकों में बहुमंजिला इमारत का निर्माण करते समय स्थानीय लोगों को परेशानी न हो, इसका भी ध्यान रखना होगा। साथ ही निर्माण ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर काम करना होगा। चार दीवारी के सहारे पौधरोपण, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लॉन्ट से लेकर वेस्ट वाटर रियूज सिस्टम, सौर ऊर्जा और वर्षा जल का संग्रहण करना अति आवश्यक होगा। इतना ही नहीं, ऐसी इमारतें भूखंडों को पुनर्गठित करके भी बनाया जा सकेगा।
-कोई भी विकासकर्ता या खुद संबंधित निकाय कॉलोनी के कई छोटे भूखण्डों को मर्ज कर रिडवलपमेंट प्रोजेक्ट ला सकेगा। -वहीं सडक़ें व सुविधा क्षेत्र मर्ज हो सकेंगे। इसमें यह भी ध्यान रखना होगा कि कॉलोनी के दूसरे निवासियों के हित प्रभावित न हों।
-विकासकर्ता को ऐसी मर्ज की गई भूमि के लिए आवासीय डीएलसी दर के हिसाब से निकाय को राशि भी देनी होगी।
-60 फीट से अधिक चौड़ी सडक़ पर सडक़ की चौड़ाई के डेढ़ गुना के बराबर इमारत की ऊंचाई स्वीकृत की जा सकेगी
2017 में हाईकोर्ट ने बहुमंजिला इमारतों का निर्माण कहां, कैसे हो, इसको लेकर सरकार को निर्देश दिए थे। उसको लेकर सरकार के स्तर पर ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। यह अंतिम चरण मे हैं। जल्द ही इसे राज्य भर में लागू किया जाएगा।