यादव ने कहा कि सरकारी अध्यापक यदि ठान लें तो वे अधिक सक्षम तरीके से अपने विद्यर्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वास्तविक शिक्षा वही है, जो विद्यार्थी के मस्तिष्क को क्रिटिकल थिंकिंग, इनोवेशन, कम्यूनिकेशन एवं कॉलेब्रेशन की ओर दिशा दें। उन्होंने कहा कि विद्यालयों होने वाली बालसभाएं भी बच्चों में कम्यूनिकेशन एवं कॉलेब्रेशन की भावना के विकास के लिए एक अच्छा माध्यम हैं। उन्होंने कहा कि वे खुद बालसभा में गए हैं और जिला प्रशासन के अन्य अधिकारियों को भी इन बालसभाओं में जाना चाहिए।
औपचारिक के साथ अनौपचारिक शिक्षा का महत्व
कलक्टर ने कहा कि आज की शिक्षा व्यवस्था में औपचारिक के साथ ही अनौपचारिक शिक्षा का भी काफी महत्व है, क्योंकि तकनीक ने इसके लिए कई साधन दिए हैं। उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 60 स्कूलों में लगाए गए नॉलेज बॉक्स ‘उत्कर्ष’ का जिक्र करते हुए कहा कि अच्छा रेस्पोंस आने पर इसे और अधिक स्कूलों में लागू किया जाएगा। गौरतलब है कि इस डिवाइस में स्कूली पाठ्यक्रम के अलावा ज्ञान की विधाओं की जानकारी समाहित है। यादव ने कहा कि स्कूलों में सेनेटरी पैड के लिए मशीन लगाने के लिए कुछ संस्थाएं आगे आई हैं और कॉर्पोरेट सोश्यल रेस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) में इसके लिए प्रयास किए जाएंगे।