सराफ ने बताया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में चिकित्सा मंत्री के अपने कार्यकाल में मैंने इंटर्न डॉक्टर्स के मानदेय में दोगुनी वृद्धि करते हुए 3500 प्रतिमाह से 7000 रुपए प्रतिमाह किया था। कोरोना संकटकाल में प्रदेश के सभी इंटर्न डॉक्टर्स फ्रंट लेवल पर जान जोखिम में डालकर पूरी शिद्दत से जुटे हुए हैं। राजस्थान में इंटर्न्स को स्टाइपेंड के नाम एक नरेगा व अर्ध कुशल मजदूर से भी कम मात्र 233 रुपए प्रतिदिन मिलते हैं। पांच साल एमबीबीएस की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद भी उन्हें परिजनों पर आश्रित होना पड़ता है, जो कि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
देश में सबसे कम मानदेय सराफ ने कहा कि देश के अन्य राज्यों ने इंटर्न डॉक्टर्स की सेवाओं के महत्व को समझते हुए इनका मानदेय बढ़ाया है। कर्नाटक सरकार ने 18000 से 30000, हरियाणा सरकार ने 12000 से 24000, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल व उड़ीसा ने 20000, पंजाब, बिहार व हिमाचल प्रदेश सरकार ने 9000 से 15000 कर दिया है। ऐसी स्थिति में राजस्थान सबसे कम पैसा दे रहा है।