डेढ़ दिन रहेगी धनतेरस, खूब खरीदें जेवर और बर्तन
इस बार धनतेरस पूरे डेढ़ दिन रहने वाली है। यानि शुक्रवार पच्चीस तारीख से शुरू होने वाले सर्वाथ सिद्धी और राजयोग में धनतेरस आएगी और यह शनिवार दोपहर 3.47 मिनट तक रहेगी। धनतेरस पर शाम के समय प्रदोष काल में दीपदान करने से अप मृत्यु का भय नहीं रहता। प्रदोष काल में दीपदान का समय 5.46 से 8.20 बजे तक का है। इस समय दीपदान करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
अगले दिन यानि शनिवार को एक, दो नहीं पूरे तीन त्योहार होने जा रहे हैं। धनवंतरी जयंती, रूप चौदस, हनुमान जयंती तीनों पर्व शनिवार त्रयोदशी तिथी को आ रहे हैं। निरोगी काया के लिए इस दिन धनवंतरी का आहृवान किया जाएगा। रुप चौदस पर महिलाएं साज श्रृंगार करेंगी और साथ ही मंदिरों में हनुमान जयंती का महापर्व मनाया जाएगा। इस दिन दीपदान का समय प्रदोष काल में 5.48 मिनट से 7.23 मिनट के बीच है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन तेल मिलकार उबठन लगाना चाहिए। तेल में लक्ष्मी और जल में गंगा का वास माना गया है।
अगले दिन यानि 27 अक्टूबर को दिवाली का त्योंहार है। प्रदोष काल के समय कार्तिक अमावस होने के कारण इस दिन दिवाली महापर्व मनाया जाना है। अमावस तिथी का आगमन 12.23 मिनट पर होगा जो सोमवार 28 तारीख को सवेरे 9.09 मिनट तक रहेगा। दिवाली पूजन का सर्वश्रेक्ष्ण समय इस बार तेरह मिनट का रहने वाला है। ज्योतिषाचार्य राजकुमार चतुर्वेदी के अनुसार इस बार दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का समय शाम 7.05 से 7.18 मिनट तक रहने वाला है। इस तेरह मिनट में प्रदोष काल, स्थिर वृष लग्न, स्थिर का नवांश रहने वाला है। इस दिन प्रदोष काल 5.45 मिनट से 8.19 मिनट, वृष लग्न 6.53 मिनट से 8.50 मिनट तक, सिंह लग्न 1.23 मिनट से 3.39 मिनट तक रहेगा। हांलाकि कार्तिक अमावस की राशि काल बेहद शुभ मानी जाती है इस कारण पूरी रात पूजा की जा सकती है। इस दिन दीपदान का समय 5.47 से 8.23 बजे तक का है।
अन्नकूट पर ठाकुर जी जीमेंगे नया धान तो सोमवती अमावस कराएगी सबसे बड़ा पुण्य
सोमवार अन्नकूट और सोमवती अमावस होने के कारण विशेष दिन है। ज्योतिष मतों के अनुसार सोमवती अमावस 9.08 मिनट तक रहेगी। इस कारण इस दिन सोमवती अमावस भी मनाई जा रही है। कार्तिक मास में आने वाली सोमवती अमावस सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिन किया गया दान पुण्य का कोई तोड़ नहीं है। सोमवती अमावस की पूजन करने वाली महिलाएं इस दिन सुहाग की चौदह वस्तुंए कल्प सकती हैं। कार्तिक माह में अगर सोमवती अमावस आती है तो किया गया दान पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। दूसरी ओर गोवर्धन पूजा होने के कारण इस दिन ठाकुर जी को नई फसल का भोग लगता है। कई तरह के धान और सब्जियों ठाकुर जी जीमते हैं। शाम के समय घरों और मंदिरों में गाय के गोबर से गोवर्धन की मूरत बनाकर उसकी पूजा की जाती है।
भाई और बहन के प्रेम का विशेष त्योंहार भाईदूज मंगलवार को है। कहानी है कि यमुना ने अपने भाई यम यानि यमराज की पूजा कर उनको भोजन कराया था और उनकी लंगी उम्र की कामना की थी। यही कारण है कि यमुना किनारे बहनें अपने भाई का पूजन करने लगी हैं। यमुना में स्नान कर बहन से तिलक लगवाने वाले भाई की आयु बढ़ती है। मंगलवार को भाई दूज होने के कारण भाईयों के लिए मंगलकारी रहने वाली है।