इस एरिया में इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड से लेकर पुनर्विकास की प्लानिंग की जाएगी। इलाके के लोगों की जरूरत के आधार पर नए सिरे से विकसित करने पर भी काम होगा। खास यह है कि इस पूरी गतिविधि को उसी एरिया की इकोनॉमी ग्रोथ से जोड़ा जाएगा। इसके लिए केन्द्र सरकार फंडिंग कर रही है।
यह प्लान मुंबई और अहमदाबाद की तर्ज पर तैयार किया गया है। मुंबई में भी सरकारी और गैर सरकारी भवनों को हटाकर री-डवलपमेंट किया जा रहा है। वर्ष 2018 में गुजरात सरकार ने भी री-डवलपमेंट पॉलिसी लागू कर दी थी।
राजस्थान के पूर्व मुख्य नगर नियोजक आर.के. विजयवर्गीय का कहना है कि ‘राजस्थान री-डवलपमेंट कंसेप्ट केवल नए रूप में इमारत बनाना या इलाके डवलप करना नहीं है, बल्कि यह इकोनॉमी ग्रोथ का बड़ा साधन भी है। मुंबई में तो यह कंसेप्ट 25 साल पुराना है। केवल स्थानीय निकाय या विकास प्राधिकरण स्तर पर काम नहीं हो सकता है, इसके लिए निवेशक आगे आएं तो बात बने। वे ही प्रोजेक्ट को व्यावहारिक बनाएं।’
-शहरों में ऐसे इलाके हैं जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जहां घनी आबादी बस चुकी है। इन इलाकों को और बेहतर तरीके से उपयोगी बनाया जा सके।
– मौजूदा भवनों की जगह आपसी समन्वय से वर्टिकल डवलपमेंट हो। सड़क चौड़ी करने के साथ ड्रेनेज, सीवरेज सहित अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना।
-लोगों की जरूरत, व्यावसायिक हित व अन्य जन सुविधाओं पर फोकस हो।
-इसके जरिये स्थानीय लोगों की प्रॉपर्टी की वेल्यू और आय के स्रोत बढ़ें। उन्हें रहने और व्यवसाय के लिए पहले से ज्यादा जगह उपलब्ध हो।
-निकायों, विकास प्राधिकरण, यूआइटी को ज्यादा राजस्व कैसे मिले, इस पर भी ध्यान देंगे।
-वर्टिकल (ऊंचाई) विकास
-मिश्रित भू-उपयोग, चारदीवारी की तर्ज पर
-कम क्षेत्र में घनी आबादी बसावट
-आवासीय व कॉमर्शियल सुविधा बढ़ेगी
-रोजगार के कई विकल्प खुलेंगे
-ईंधन युक्त वाहनों पर कम निर्भरता
-चिन्हित सीमा का आवश्यक रूप से निर्धारण
-कंक्रीट निर्माण के अनुपात में ही खुला क्षेत्र
-हरियाली क्षेत्र का बड़ा हिस्सा विकसित हो
-आवास से कुछ दूरी पर ही मूलभूत सुविधाएं मिले
-नौकरी और व्यापार के लिए ज्यादा दूरी तय नहीं करनी पड़े
-सुदृढ़ सार्वजनिक परिवहन सेवा