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जयपुर

इस बार नहीं हो पाएगा संस्कृत विद्वानों का सम्मान

हर साल रक्षाबंधन के दिन होता है समारोह का आयोजनकोरोना के कारण विभाग नहीं करवा रहा आयोजनरक्षाबंधन के दिन मनाया जाता है संस्कृत दिवस समारोह

जयपुरJul 30, 2020 / 09:57 am

Rakhi Hajela

इस बार नहीं हो पाएगा संस्कृत विद्वानों का सम्मान

इस बार नहीं हो पाएगा संस्कृत विद्वानों का सम्मान

हर साल रक्षाबंधन के दिन यानी श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर संस्कृत शिक्षा विभाग की ओर से संस्कृत विद्वानों का सम्मान किया जाता है लेकिन इस बार ३ अगस्त को एेसा नहीं हो पाएगा। संस्कृत शिक्षा विभाग की ओर से इस बार संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन नहीं किया जाएगा। विभाग ने यह निर्णय कोविड १९ को देखते हुए सरकार की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस को देखते हुए लिया है। गौरतलब है कि रक्षाबंधन के दिन विभाग की ओर से हर साल राज्य स्तरीय संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है।
किया जाता है विद्वानों का सम्मान
आपको बता दें कि संस्कृत दिवस समारोह में संस्कृत शिक्षा विभाग की ओर से संस्कृत विद्वान को संस्कृत साधना शिखर सम्मान प्रदान किया जाता है, उन्हें पुरस्कार स्वरूप एक लाख रुपए की राशि के साथ ही शॉल, श्रीफल प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया जाता हे। इसके साथ ही ५१ हजार रुपए का साधना सम्मान भी दिया जाता हे। वहीं ३१ हजार रुपए पुरस्कार राशि के संस्कृत विद्वत सम्मान भी दिए जाते हैं। इतना ही नहीं युवा विद्वानों को २१ हजार रुपए की पुरस्कार राशि के संस्कृत युवा प्रतिभा सम्मान भी संस्कृत दिवस समारोह पर ही प्रदान किए जाते हैं।
इस अवसर पर संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार में उल्लेखनीय योगदान देने वाले दो भामाशाहों को भी सम्मानित किया जाता है। साथ ही एक विशिष्ट सम्मान भी प्रदान किया जाता है।
श्रावणी पूर्णिमा पर मनाया जाता है संस्कृत दिवस
आपको बता दें कि देश भर में हर साल श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर संस्कृत दिवस मनाया जाता है। श्रावणी पूर्णिमा यानी रक्षा बन्धन ऋषियों के स्मरण तथा पूजा और समर्पण का पर्व माना जाता है। वैदिक साहित्य में इसे श्रावणी कहा जाता था। इसी दिन गुरुकुलों में वेदाध्ययन कराने से पहले यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। इस संस्कार को उपनयन अथवा उपाकर्म संस्कार कहते हैं। इस दिन पुराना यज्ञोपवीत भी बदला जाता है। ब्राह्मण यजमानों पर रक्षासूत्र भी बांधते हैं। इस अवसर पर राज्य तथा जिला स्तरों पर संस्कृत दिवस आयोजित किए जाते हैं और संस्कृत कवि सम्मेलन, लेखक गोष्ठी, छात्रों की भाषण तथा श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है, जिसके माध्यम से संस्कृत के विद्यार्थियों, कवियों तथा लेखकों को उचित मंच प्राप्त होता है।
१९६९ से मनाया जा रहा है समारोह
सन् 1969 में केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केन्द्रीय और राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया गया था। तब से पूरे देश में संस्कृत दिवस श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन को इसीलिए चुना गया था कि इसी दिन प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था। इसी दिन वेद पाठ का आरंभ होता था तथा इसी दिन छात्र शास्त्रों के अध्ययन का प्रारंभ किया करते थे। पौष माह की पूर्णिमा से श्रावण माह की पूर्णिमा तक अध्ययन बन्द हो जाता था। प्राचीन काल में फिर से श्रावण पूर्णिमा से पौष पूर्णिमा तक अध्ययन चलता था, वर्तमान में भी गुरुकुलों में श्रावण पूर्णिमा से वेदाध्ययन प्रारम्भ किया जाता है। इसीलिए इस दिन को संस्कृत दिवस के रूप से मनाया जाता है।
इनका कहना है,
कोरोना के कारण सरकार ने सभी समारोह के आयोजन स्थगित करने के निर्देश जारी किए हुए हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हम किसी भी प्रकार का कोई आयोजन नहीं कर रहे।
दीर्घाराम रामस्नेही,
संयुक्त निदेशक, संस्कृत शिक्षा विभाग
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