प्रमुख जगहों का पारा
प्रदेश में बीते 24 घंटे में सबसे अधिक पारा श्रीगंगानगर का सबसे अधिक 44 डिग्री सेल्सियस, करौली का 42.6, जयपुर का 40.3, अलवर का 41, कोटा का 41.4, बाडमेर का 41, जैसलमेर का 41.5, बीकानेर का 42,हनुमानगढ का 42.8, करौली का 42.8, सवाइमाधोपुर का 41.3,धौलपुर का 42.7 डिग्री सेल्सियस पारा दर्ज किया गया। वहीं धौलपुर में 7, करौली में 0.5 एमएम बारिश दर्ज की गई।
प्रदेश में बीते 24 घंटे में सबसे अधिक पारा श्रीगंगानगर का सबसे अधिक 44 डिग्री सेल्सियस, करौली का 42.6, जयपुर का 40.3, अलवर का 41, कोटा का 41.4, बाडमेर का 41, जैसलमेर का 41.5, बीकानेर का 42,हनुमानगढ का 42.8, करौली का 42.8, सवाइमाधोपुर का 41.3,धौलपुर का 42.7 डिग्री सेल्सियस पारा दर्ज किया गया। वहीं धौलपुर में 7, करौली में 0.5 एमएम बारिश दर्ज की गई।
आगामी अलर्ट
जयपुर मौसम केन्द्र के प्रभारी आरएस शर्मा के मुताबिक शनिवार को भरतपुर और जयपुर संभाग के जिलों में आंधी चलने के साथ हल्की बारिश होने के आसार हैं। रविवार को मौसम साफ रहेगा और तापमान बढऩे के साथ ही बीकानेर, गंगानगर एरिया में हीटवेव चलेगी। ऐसे में फिर से मौसम में फिर से बदलाव देखने को मिलेगा।
जयपुर मौसम केन्द्र के प्रभारी आरएस शर्मा के मुताबिक शनिवार को भरतपुर और जयपुर संभाग के जिलों में आंधी चलने के साथ हल्की बारिश होने के आसार हैं। रविवार को मौसम साफ रहेगा और तापमान बढऩे के साथ ही बीकानेर, गंगानगर एरिया में हीटवेव चलेगी। ऐसे में फिर से मौसम में फिर से बदलाव देखने को मिलेगा।
हवा की वजह से हुई देरी
केरल तट पर मानसून के प्रवेश में दो दिन का समय ओर लग सकता है। केरल में मौसम विभाग ने 27 मई तक मानसून आने का पूर्वानुमान लगाया था, लेकिन इसका सबको इंतजार है। राजस्थान में मानसून जून के आखिरी सप्ताह में प्रवेश करने के आसार हैं। आईएमडी के मुताबिक कई बार मानसून में देरी की वजह हवा हैं। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उत्तर की तरफ बढऩे वाली हवा अब कम चल रही है, यही कारण है कि मानसून अब भी भारत की सीमा तक नहीं पहुंचा है।
केरल तट पर मानसून के प्रवेश में दो दिन का समय ओर लग सकता है। केरल में मौसम विभाग ने 27 मई तक मानसून आने का पूर्वानुमान लगाया था, लेकिन इसका सबको इंतजार है। राजस्थान में मानसून जून के आखिरी सप्ताह में प्रवेश करने के आसार हैं। आईएमडी के मुताबिक कई बार मानसून में देरी की वजह हवा हैं। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उत्तर की तरफ बढऩे वाली हवा अब कम चल रही है, यही कारण है कि मानसून अब भी भारत की सीमा तक नहीं पहुंचा है।