जिससे ट्रेनों का न सिर्फ संचालन प्रभावित होता है, बल्कि सफर में समय भी ज्यादा लगती है। सिंगल ट्रेक का सबसे ज्यादा प्रभाव पैसेंजर ट्रेनों पर पड़ता है, क्योंकि उन्हें सुपरफास्ट, मेल, एक्सप्रेस ट्रेनों की आवाजाही के दौरान क्रॉसिंग पर बार-बार रुकना पड़ता है। जिससे यात्रियों को कई बार गंतव्य तक पहुंचने में भी देरी हो जाती है। वर्षों से चली आ रही इस समस्या के समाधान के लिए रेलवे ने इसी साल इस ट्रैक पर दोहरीकरण का कार्य शुरू किया था। जो लगभग पूरा हो चुका है। खासबात है कि बुधवार को रेलवे ने इस ट्रैक पर 126 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाकर सफल ट्रायल भी किया।
इलेक्ट्रिक इंजन से दौड़ेगी ट्रेनें
फुलेरा से डेगाना स्टेशन के मध्य रेलवे ट्रैक पर दोहरीकरण के साथ-साथ विद्युतीकरण का कार्य भी चल रहा है। संभवत: यह कार्य भी मार्च-अप्रेल तक पूरा हो जाएगा। जिसके बाद इस ट्रेक पर डीजल की बजाय इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनों का संचालन होगा। इससे ईंधन के साथ ही यात्रियों के समय की बचत होगी, क्योंकि इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी। रेलवे के अनुसार यात्री गंतव्य पर 30 से 45 मिनट पहले पहुंच सकेंगे।
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यहां तक पूरा हो चुका दोहरीकरण
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि फुलेरा से डेगाना स्टेशन के मध्य करीब 108 किमी रेलवे ट्रैक पर दोहरीकरण का कार्य किया जा रहा है। जिसमें डेगाना से कुचामन सिटी स्टेशन व फुलेरा से गोविंदी मारवाड़ स्टेशन के बीच दोहरीकरण कार्य पूरा हो चुका है। इस ट्रैक पर रेलवे ने ट्रेन चलाकर ट्रायल भी पूरा कर लिया है।