ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि इस दिन भक्तिभाव से पूजा करना चाहिए। अनंग त्रयोदशी के दिन रति—कामदेव की पूजा भी की जाती है. इससे प्रेम संबंध सुदृढ़ होते हैं। स्वंय शिवजी ने रति को वरदान देते हुए कहा था कि इस दिन शिव—पार्वती के साथ रति—कामेदव की पूजा करनेवालों का प्रेम कभी खत्म नहीं होगा.
यह व्रत उनके लिए सबसे अहम है जोकि संतान सुख से वंचित हैं. संतान प्राप्ति के लिए या संतान के आरोग्य व उन्नति के लिए इस दिन व्रत रखकर शिव—पार्वतीजी की विधिविधान से पूजा करें. अनंग त्रयोदशी पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं और प्रदोष काल में शिव—पार्वतीजी पूजा के पश्चात् व्रत का पारण करते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित एमकुमार शर्मा के मुताबिक अनंग त्रयोदशी पर सुबह स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करें, शिवजी का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें. शाम को सूर्यास्त के समय पूजा प्रारंभ करें. शिवलिंग पर सफेद फूलों की माला अर्पित करेें, शिवाभिषेक करें और बेलपत्र, धतूरा, भांग चढ़ाएं। शिव चालीसा या शिव तांडव स्तोत्र का पाठ भी करें।
शिवजी के साथ घी का दीप जलाकर पार्वतीजी की पूजा करें, उन्हें सफेद फूल चढ़ाएं, मिष्ठान्न का भोग लगाएं। पूजा के समय ॐ नमः शिवाय मंत्र का अधिक से अधिक या कम से कम 108 बार जाप करें। पूजा के बाद किसी जरूरतमंद को दान जरूर दें। शिव—पार्वती की पूजा के लिए अनंग त्रयोदशी अत्यंत शुभ मुहूर्त्त है और उनका आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है।