फैक्ट्री के श्रमिकों ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक कांटे में शनिवार सुबह ९ बजे शॉर्ट-सर्किट हुआ था। प्रबंधन ने इलेक्ट्रिशियन बुलाकर इसे सुधरवाया था। रात में फिर उसी इलेक्ट्रॉनिक कांटे में शॉर्ट-सर्किट हो गया। नाम न छापने की शर्त पर कर्मचारियों ने बताया कि पिछले तीन दिन से शॉर्ट-सर्किट की समस्या हो रही थी। घटना के बाद मौके का निरीक्षण करने दिल्ली और मुंबई से नेशनल टेक्सटाइल कार्पोरशन की टीम पहुंची। देर रात तक फैक्ट्री का मुआयना कर नुकसान का आकलन किया। लेकिन वे मामले में कुछ भी कहने से बचते रहे।
आंखों देखी : पांच मिनट में मच गई अफरा-तफरी
मैं ब्लो रूम में कॉटन तौल रहा था। तौल कांटे से मैं करीब 8 फीट की दूरी पर बैठा था, इस दौरान कांटे से एक चिंगारी निकली। पहले तो हमने पास में बॉटल में रखा पानी डाला, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद मैं भागकर अग्नि शमन यंत्र को उठा लाया और आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन तब तक आग की लपटें काफी तेज हो गई थी। आग इतनी तेज थी कि छत पर लगा लोहा भी पिघलने लगा। इस पर जान बचाकर मैं बाहर की ओर भागा। मेरे साथ और लोग भी बाहर आ गए। सभी लोग ब्लो रूम के बाहर पहुंचकर खड़े ही हुए थे कि दमकल आ गई। उसके बाद सेना के जवान और निगम के अमले ने मोर्चा संभाल लिया। आर्मी के जवान और नगर निगम के अमले ने मोर्चा संभाला। अमला अगर समय पर नहीं पहुंचता तो आग रहवासी इलाके में फैल जाती।
(जैसा प्रत्यक्षदर्शी नरेंद्र अहिरवार ने पत्रिका को बताया )
मजदूरों के बहे आंसू
सुबह होने के साथ ही जैसे-जैसे आग लगने की खबर फैली, फैक्ट्री के मजदूर और उनके परिवार गेट के सामने इकट्ठा हो गए। आग से फैक्ट्री को खाक होते देख श्रमिक और उनके परिजन बिलख-बिलख कर रोने लगे। फैक्ट्री में काम करने वाली गीतबाई ने बताया कि मुझे इस फैक्ट्री में काम करते हुए 10 साल से अधिक हो गए हैं। यही हमारी रोजी-रोटी का जरिया थी। अब हम कहां जाएंगे। कैसे घर चलेगा। सोचकर ही दिल बैठा जा रहा है। वहां खड़े अन्य मजदूरों ने भी कहा कि हमारे सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया।
मैं घर से 2.05 बजे निकला और फाइटर लेकर पहुंचा। चारों ओर भयंकर आग लगी थी। फैक्ट्री प्रबंधन के पास आग से निपटने का प्रबंध तो था, पर वो समय पर काम नहीं किया। जिससे आग भयावह हो गई।
– रामेश्वर नील, फायर ऑफिसर ननि भोपाल