परीक्षा केन्द्र घटने से बढ़ी मुसीबत
– करीब 13 लाख बच्चे पांचवीं की बोर्ड परीक्षा दे रहे हैं राज्य में
– 1.23 लाख बच्चे परीक्षा में बैठे हैं अकेले राजधानी में
– 15-20 प्रतिशत तक कटौती कर दी है शिक्षा विभाग ने इस साल परीक्षा केन्द्रों में
– 50-60 बच्चों ने परीक्षा दी थी पिछले साल कई स्कूलों में, यह तर्क देकर हर केन्द्र पर 200-400 बच्चे निर्धारित किए विभाग ने इस बार
– 08-10 ·िलोमीटर दूर हो गए हैं इस कारण परीक्षा केन्द्र इस बार
– करीब 13 लाख बच्चे पांचवीं की बोर्ड परीक्षा दे रहे हैं राज्य में
– 1.23 लाख बच्चे परीक्षा में बैठे हैं अकेले राजधानी में
– 15-20 प्रतिशत तक कटौती कर दी है शिक्षा विभाग ने इस साल परीक्षा केन्द्रों में
– 50-60 बच्चों ने परीक्षा दी थी पिछले साल कई स्कूलों में, यह तर्क देकर हर केन्द्र पर 200-400 बच्चे निर्धारित किए विभाग ने इस बार
– 08-10 ·िलोमीटर दूर हो गए हैं इस कारण परीक्षा केन्द्र इस बार
अभिभावकों की चिन्ता
– 08 से 11 साल आयु के हैं पांचवीं कक्षा में बच्चे
– 08 से 10 किलोमीटर दूर कहीं नाला तो कहीं जंगल पार कर परीक्षा देने जाना हो रहा मुश्किल
– ज्यादातर बच्चे डर रहे हैं बोर्ड परीक्षा के नाम से
– दोपहर 12.30 बजे गर्मी में परीक्षा देकर घर जाना पड़ रहा भारी
– कई केन्द्रों पर अव्यवस्थाएं
– 5 से 7—8 किलोमीटर दूर छोटे बच्चे जाएं कैसे, ग्रामीण अपना काम छोड़कर उन्हें परीक्षा दिलाने ले जाएं तो पेट कैसे पालें
– 08 से 11 साल आयु के हैं पांचवीं कक्षा में बच्चे
– 08 से 10 किलोमीटर दूर कहीं नाला तो कहीं जंगल पार कर परीक्षा देने जाना हो रहा मुश्किल
– ज्यादातर बच्चे डर रहे हैं बोर्ड परीक्षा के नाम से
– दोपहर 12.30 बजे गर्मी में परीक्षा देकर घर जाना पड़ रहा भारी
– कई केन्द्रों पर अव्यवस्थाएं
– 5 से 7—8 किलोमीटर दूर छोटे बच्चे जाएं कैसे, ग्रामीण अपना काम छोड़कर उन्हें परीक्षा दिलाने ले जाएं तो पेट कैसे पालें
परीक्षा केन्द्रों का कुछ ऐसा है हाल
– सीकर शहर के कोतवाली रोड पर स्थित राजकीय पन्नालाल चितलांगिया उच्च माध्यमिक स्कूल में बैठने की व्यवस्था ही 200 बच्चों की है, वहां 300 बच्चों का परीक्षा केन्द्र बना दिया गया है। बच्चों जमीन पर बैठाकर परीक्षा दिलाई जा रही है।
– बांसवाड़ा जिले के आंनदपुरी ब्लॉक के छाजा उमावि परीक्षा केन्द्र पर हरजी पाडा स्कूल से बच्चे करीब 8 किलोमीटर दूर से परीक्षा देने आ रहे हैं। ऐसा ही हाल दूसरे स्कूलों में भी है। ये परीक्षार्थी एसटी वर्ग के हैं, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चियां भी हैं।
तनाव ठीक नहीं
छोटी उम्र में बच्चों का दिमाग परिपक्व नहीं होता। ऐसे में परीक्षा का तनाव उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। दूसरी तरफ माता-पिता बच्चों से बहुत उम्मीद लगा लेते हैं और इस प्रतिस्पर्धा में बच्चा ज्यादा तनाव में आ जाता है। तनाव के कारण वे पढ़ाई पर ध्यान ही नहीं लगा पाते।
– प्रो. प्रदीप शर्मा, मनोचिकित्सक
भविष्य में रखेंगे ध्यान
परीक्षाएं चल रही हैं इसलिए केन्द्र बदल नहीं सकते। बच्चों को परेशानी न हो, भविष्य में इसका ध्यान रखेंगे।
– नरेशपाल गंगवार, प्रमुख शासन सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग