ब्राहृमणी नदी से पानी लाने की बजाय धरती की कोख छीलने पर उतरे अफसर
पेयजल किल्लत से जूझ रहे शहर में अब 453 और नए ट्यूबवैल खोदे जाएंगे

भवनेश गुप्ता
जयपुर। पेयजल किल्लत से जूझ रहे शहर में अब 453 और नए ट्यूबवैल खोदे जाएंगे। इसके बाद पिछले पांच माह में ही अतिरिक्त ट्यूबवैल की संख्या 1005 हो जाएगी, जबकि इससे पहले तक ही शहर में वर्षों से केवल 2064 ट्यूबवैल संचालित होते रहे हैं। यानि, पांच माह मेंं ही ट्यूबवैल प्रोजेक्ट की संख्या बढ़कर दोगुनी की जा रही है। पेयजल का स्थाई वैकल्पिक इंतजाम करने की बजाय नौकरशाह भूजल दोहन पर तुले हैं। जलदाय विभाग अधिकारियों का तर्क है कि पेयजल किल्ल्त को दूर करने के लिए फिलहाल भूजल के लिए अलावा कोई विकल्प नहीं है। जबकि, हकीकत यह है कि सरकार और नौकरशाहों का ब्राहृमणी नदी से बीसलपुर बांध में पानी लाने के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट पर फोकस नहीं होने से ऐसे हालात पनप रहे हैं। परेशान करने वाली स्थिति यह है कि जयपुर शहर में भूजल स्तर 0.5 मीटर गिर चुका है।
इस तरह समझें परेशानी
-पिछले वर्ष अगस्त में 30 प्रतिशत पेयजल कटौती शुरू की गई। इसी बीच 273 पुराने बंद पड़े ट्यूबवैल को संचालित करने का काम शुरू हुआ। इसमें से 230 ट्यूबवैल शुरू कर दिए, इससे 39 एमएलडी पानी हर दिन लिया जा रहा है।
-इसी बीच विभाग ने 279 नए और ट्यूबवैल की प्रस्ताव सौंपा, जिस पर दो दिन पहले ही स्वीकृति मिल गई। इससे 40 एमएलडी पेयजल मिलेगा।
-अब 453 नए ट्यूबवैल और खुदाई का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया। इस पर विभाग के प्रमुख शासन सचिव संदीप वर्मा ने मौखिक सहमति भी दे दी। इस पर 35 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इससे करीब 70 एमएलडी पानी मिलने का आकलन।
-इन ट्यूबवैल के जरिए हर दिन 15 करोड़ लीटर पानी जमीन से खींचा जाएगा। जबकि, करीब 8 करोड़ लीटर भूजल पहले से लिया जा रहा है।
उंचाई वाले इलाकों के लिए
उंचाई वाले और पेयजल टंकी से अंतिम छोर वाले इलाकों में ये ट्यूबवैल बनेंगे जहां पानी नहीं पहुंच पाता है। ऐसे इलाकों में समान रूप से पेयजल पहुंचाने के लिए 453 नए ट्यूबवैल का प्रस्ताव बनाया गया।
ब्राह्मणी नदी से बीसलपुर बांध को फायदा
मानसून के दौरान ब्राह्मणी नदी में काफी पानी आता रहा है। यह पानी जवाहर सागर बांध व कोटा बैराज होकर चंबल नदी में बह जाता है। इसे बनास नदी से जोड़ दिया जाए तो बीसलपुर बांध हर साल भरने की संभावना बनेगी। चंबल की सहायक नदी ब्राह्मणी से पानी लाने के लिए भैंसरोडगढ़ के पास बांध बनाया जाएगा। इस बांध में पानी रोककर नहर से लिफ्ट करेंगे जिसे भीलवाड़ा के जहाजपुर (नापाखेड़ा) के पास बनास नदी में मिलाया जाना है। यह प्रोजेक्ट करीब 4 वर्ष पहले बना था, लेकिन जलदाय विभाग ने अब डीपीआर के लिए 5.58 करोड़ रुपए दिए हैं।
यह है प्रोजेक्ट
-89 किलोमीटर लम्बी नहर बनाना प्रस्तावित ब्राह्मणी नदी से बांध में पानी लाने के लिए
-53 किलोमीटर लम्बाई में टनल कैनाल होगी
-411 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलने की उम्मीद मानसून में
-1.5 मीटर उंचाई भी बढ़ाई जानी है बीसलपुर बांध की
-317 आरएल मीटर हो जाएगी भराव क्षमता उंचाई बढ़ने के बाद
-6.9 टीएमसी अतिरिक्त पेयजल मिलने लगेगा बीसलपुर दूसरे फेज के लिए
(जल संसाधन विभाग इस पर काम कर रहा है)
- ब्राहृमणी नदी से बीलसपुर बांध में पानी लाने का काम जल संसाधन विभाग को करना है। हमने 5 करोड़ रुपए डीपीआर के लिए दे दिए हैं। अभी भूजल ही वैकल्पिक स्त्रोत है, इसलिए 453 अतिरिक्त नए ट्यूबवैल का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। -डी.के. सैनी, मुख्य अभियंता, जलदाय विभाग
- डीपीआर के लिए राशि मिल गई है, लेकिन आचार संहिता के कारण काम अब शुरू हो पाएगा। प्रोजेक्ट के लिए जल्द ही ईओआई जारी कर रहे हैं। डीपीआर और निविदा में करीब एक वर्ष का समय लगेगा। —रवि सोलंकी, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग
एक्सपर्ट...
-जलदाय विभाग जिस गति से जमीन से पानी खींच रहा है, उससे साफ है कि अधिकतम 4-5 साल तक ही भूजल आसानी से उपलब्ध हो सकेगा। ऐसे में बहुत बड़ी मुश्किल आने वाली है। बीसलपुर बांध को ब्राहृमणी नदी-चम्बल नदी से जोड़ना ही होगा। मैंने भी सरकार में सुझाव दिया था कि यह काम तेजी से करना होगा, लेकिन इस पर फोकस नहीं किया गया। यह तो किस्मत ही है कि चार-पांच साल में अच्छी बारिश के कारण बांध में पानी आता रहा है। स्थिति नहीं सुधरी तो लातूर जैसे हालात होने में भी समय नहीं लगेगा। -एस.के. जैन, भूजल विशेषज्ञ
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