यह है प्रोजेक्ट
-89 किलोमीटर लम्बी नहर बनाना प्रस्तावित ब्राह्मणी नदी से बांध में पानी लाने के लिए
-53 किलोमीटर लम्बाई में टनल कैनाल होगी
-411 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलने की उम्मीद मानसून में
-1.5 मीटर उंचाई भी बढ़ाई जानी है बीसलपुर बांध की
-317 आरएल मीटर हो जाएगी भराव क्षमता उंचाई बढ़ने के बाद
-6.9 टीएमसी अतिरिक्त पेयजल मिलने लगेगा बीसलपुर दूसरे फेज के लिए
(जल संसाधन विभाग इस पर काम कर रहा है)
-89 किलोमीटर लम्बी नहर बनाना प्रस्तावित ब्राह्मणी नदी से बांध में पानी लाने के लिए
-53 किलोमीटर लम्बाई में टनल कैनाल होगी
-411 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलने की उम्मीद मानसून में
-1.5 मीटर उंचाई भी बढ़ाई जानी है बीसलपुर बांध की
-317 आरएल मीटर हो जाएगी भराव क्षमता उंचाई बढ़ने के बाद
-6.9 टीएमसी अतिरिक्त पेयजल मिलने लगेगा बीसलपुर दूसरे फेज के लिए
(जल संसाधन विभाग इस पर काम कर रहा है)
– ब्राहृमणी नदी से बीलसपुर बांध में पानी लाने का काम जल संसाधन विभाग को करना है। हमने 5 करोड़ रुपए डीपीआर के लिए दे दिए हैं। अभी भूजल ही वैकल्पिक स्त्रोत है, इसलिए 453 अतिरिक्त नए ट्यूबवैल का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। -डी.के. सैनी, मुख्य अभियंता, जलदाय विभाग
– डीपीआर के लिए राशि मिल गई है, लेकिन आचार संहिता के कारण काम अब शुरू हो पाएगा। प्रोजेक्ट के लिए जल्द ही ईओआई जारी कर रहे हैं। डीपीआर और निविदा में करीब एक वर्ष का समय लगेगा। —रवि सोलंकी, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग
– डीपीआर के लिए राशि मिल गई है, लेकिन आचार संहिता के कारण काम अब शुरू हो पाएगा। प्रोजेक्ट के लिए जल्द ही ईओआई जारी कर रहे हैं। डीपीआर और निविदा में करीब एक वर्ष का समय लगेगा। —रवि सोलंकी, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग
एक्सपर्ट…
-जलदाय विभाग जिस गति से जमीन से पानी खींच रहा है, उससे साफ है कि अधिकतम 4-5 साल तक ही भूजल आसानी से उपलब्ध हो सकेगा। ऐसे में बहुत बड़ी मुश्किल आने वाली है। बीसलपुर बांध को ब्राहृमणी नदी-चम्बल नदी से जोड़ना ही होगा। मैंने भी सरकार में सुझाव दिया था कि यह काम तेजी से करना होगा, लेकिन इस पर फोकस नहीं किया गया। यह तो किस्मत ही है कि चार-पांच साल में अच्छी बारिश के कारण बांध में पानी आता रहा है। स्थिति नहीं सुधरी तो लातूर जैसे हालात होने में भी समय नहीं लगेगा। -एस.के. जैन, भूजल विशेषज्ञ
-जलदाय विभाग जिस गति से जमीन से पानी खींच रहा है, उससे साफ है कि अधिकतम 4-5 साल तक ही भूजल आसानी से उपलब्ध हो सकेगा। ऐसे में बहुत बड़ी मुश्किल आने वाली है। बीसलपुर बांध को ब्राहृमणी नदी-चम्बल नदी से जोड़ना ही होगा। मैंने भी सरकार में सुझाव दिया था कि यह काम तेजी से करना होगा, लेकिन इस पर फोकस नहीं किया गया। यह तो किस्मत ही है कि चार-पांच साल में अच्छी बारिश के कारण बांध में पानी आता रहा है। स्थिति नहीं सुधरी तो लातूर जैसे हालात होने में भी समय नहीं लगेगा। -एस.के. जैन, भूजल विशेषज्ञ