याचिकाकर्ता के एडवोकेट विजय पाठक ने बताया कि याचिकाकर्ता नादौती पंचायत समिति में स्टोर कीपर के तौर पर कार्यरत था। पंचायत समिति को निर्माण कार्यों के लिए नोडल एेजेंसी नियुक्त किया था और स्टोर कीपर होने के कारण वर्क ऑर्डर जारी होने से लेकर भुगतान तक काम याचिकाकर्ता को ही करना था। इसी कारण याचिकाकर्ता ने सरकारी निर्देश के अनुसार भुगतान प्राप्त कर निर्माण करने वाली फर्मों को भुगतान किया था। इस संबंध में उप-प्रधान ने तत्कालीन प्रधान पर सीधे फर्म को भुगतान करने के स्थान पर याचिकाकर्ता के जरिए भुगतान करने की शिकायत की थी। इस संबंध में जांच हुई और याचिकाकर्ता को जांच में क्लीन चिट दी गई थी। इसके बावजूद राजनीतिक कारणों से याचिकाकर्ता को तत्कालीन मंत्री के निर्देश पर ६ जून,२०१७ को निलंबित कर दिया था। निलंबन आदेश को दी गई चुनौती पर अदालत केा बताया गया कि जांच में क्लीन चिट मिलने के बावजूद याचिकाकर्ता को राजनीतिक दखल से मंत्री के निर्देश पर निलंबित करना गलत है। हाईकोर्ट ने ७ जुलाई,२०१७ को निलंबन आदेश पर रोक लगा दी थी। पिछले दिनों सरकार की ओर से स्टे हटाने की अर्जी दायर हुई थी। अदालत ने सरकार की अर्जी खारिज कर दी और याचिकाकर्ता की याचिका मंजूर करते हुए निलंबन आदेश को ही रद्द कर दिया।