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जयपुर

अब भूखंडों का उप विभाजन और पुनर्गठन कराना हुआ महंगा, जानिए क्या हैं नई दरें

नगरीय विकास विभाग ने प्रदेश में भूखंडों के उप विभाजन और पुनर्गठन की नई दरें लागू कर दी हैं। इस संबंध में यूडीएच ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। वर्ष 1974 के बाद पहली बार दरों में संशोधन कर पहली बार भू-उपयोग के अनुसार दरें तय की गई हैं।

जयपुरFeb 19, 2021 / 05:39 pm

Umesh Sharma

अब भूखंडों का उप विभाजन और पुनर्गठन कराना हुआ महंगा, जानिए क्या हैं नई दरें

अब भूखंडों का उप विभाजन और पुनर्गठन कराना हुआ महंगा, जानिए क्या हैं नई दरें

जयपुर।

नगरीय विकास विभाग ने प्रदेश में भूखंडों के उप विभाजन और पुनर्गठन की नई दरें लागू कर दी हैं। इस संबंध में यूडीएच ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। वर्ष 1974 के बाद पहली बार दरों में संशोधन कर पहली बार भू-उपयोग के अनुसार दरें तय की गई हैं।
विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार आवासीय भूखंडों के लिए 75 रुपए प्रति वर्ग मीटर और अधिकतम 35 लाख रुपए दर रखी गई है। इसी तरह व्यवसायिक भूखंड के लिए 100 रुपए प्रति वर्ग मीटर और अधिकतम 50 लाख रुपए, संस्थानिक भूखंड के लिए 25 रुपए प्रति वर्ग मीटर और अधिकतम 15 लाख रुपए, औद्योगिक भूखंड के लिए 50 रुपए प्रति वर्ग मीटर और अधिकतम 20 लाख रुपए तथा पर्यटन इकाई के लिए 25 रुपए प्रति वर्ग मीटर और अधिकतम 15 लाख रुपए रखी गई है।
निकायों के आर्थिक हितों को नुकसान ?

भूखण्ड के उप विभाजन और पुनर्गठन की दरें तय करने की नई अधिसूचना को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं। यूडीएच की इस अधिसूचना से पहली बार ऊपरी सीमा निर्धारित की गई है। 19 फरवरी 2010 को यूडीएच ने आदेश जारी कर दरें निर्धारित की थी। उप विभाजन के लिए 50 रुपए प्रतिवर्ग मीटर और पुनर्गठन के लिए 100 रुपए प्रति वर्गमीटर की दरें निर्धारित की गई थी। ऊपरी सीमा नहीं होने से बड़ी भूमि के मामलों में निकायों को अच्छा राजस्व मिलता था।
नियम और आदेश में था विरोधाभास

अब तक नियमों और आदेश में विरोधाभास की स्थिति बनी हुई थी। 1975 के जो नियम लागू थे, उसमें 3 रुपए प्रति वर्गगज की दर से वसूली का प्रावधान था। इसके बाद 19 फरवरी, 2010 को यूडीएच ने जो आदेश जारी किया, उसमें 50 और 100 रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से वसूली का प्रावधान किया गया था। निकाय 2010 के आदेश के अनुसार ही वसूली कर रहे थे। इसे लेकर सवाल उठने लगे तब जाकर यूडीएच ने अधिसूचना जारी कर नियमों में बदलाव किया है। जिसके चलते पहली बार भूखण्ड के भू—उपयोग के अनुसार दरें निर्धारित की गई हैं।

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