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जयपुर

यूएनएचआरसी में भारत की कूटनीतिक जीत, 24 घंटे में पाक को दूसरा झटका

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी)(UNHRC) में पाकिस्तान(Pakistan) को जम्मू-कश्मीर(Jammu-Kashmir) मामले में संकल्प पेश करने के लिए पर्याप्त समर्थन(No Support) नहीं मिल पाया। अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसे भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत(Diplomatic victory) माना जा रहा है।

जयपुरSep 20, 2019 / 01:32 am

sanjay kaushik

यूएनएचआरसी में भारत की कूटनीतिक जीत, 24 घंटे में पाक को दूसरा झटका

यूएनएचआरसी में भारत की कूटनीतिक जीत, 24 घंटे में पाक को दूसरा झटका

-कश्मीर पर संकल्प पेश करने के लिए नहीं मिला अन्य देशों का पर्याप्त समर्थन

जिनेवा। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी)(UNHRC) में पाकिस्तान(Pakistan) को जम्मू-कश्मीर(Jammu-Kashmir) मामले में संकल्प पेश करने के लिए पर्याप्त समर्थन(No Support) नहीं मिल पाया। इससे कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की पाकिस्तान की साजिश एक बार फिर विफल साबित हुई। अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसे भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत(Diplomatic victory) माना जा रहा है। 24 घंटे के भीतर पाकिस्तान को लगा यह दूसरा बड़ा झटका है। बुधवार को स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय यूनियन की संसद ने जम्मू-कश्मीर मसले पर कहा था कि भारत में चांद से आतंकी नहीं आते। पाकिस्तान क्षेत्र में शांति स्थापित करे और कश्मीर मसले को भारत से बातचीत के जरिये सुलझाए।
-ज्यादातर सदस्य देशों का इनकार

संकल्प से संबंधित प्रस्ताव पेश करने के लिए निर्धारित समय तक पाकिस्तान आवश्यक सदस्यों के समर्थन के पत्र दाखिल नहीं कर सका। ज्यादातर सदस्य देशों ने कश्मीर पर संकल्प पेश करने के पाकिस्तान के प्रस्ताव का समर्थन करने से इनकार कर दिया। इसके चलते भारत के खिलाफ कश्मीर पर प्रस्ताव लाने की पाकिस्तान की मंशा धरी रह गई और उसके राजनयिक अपना सा मुंह लेकर यूएनएचआरसी परिसर से निकल गए।
-पहले पीओके की बात करें : मिनी देवी कुमम

चर्चा के दौरान संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत की प्रथम सचिव कुमम मिनी देवी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हमारा निर्णय भारत का संप्रभु और आंतरिक मामला है। हमारे निर्णय की गलत व्याख्या कर पाकिस्तान क्षेत्र को लेकर अपनी नीयत छिपा नहीं सकता। पहले एक बार पीओके और पाकिस्तान के इलाकों के बारे में बात करते हैं। लोगों का गायब होना, हिरासत में रेप, हिरासत में हत्या, टॉर्चर और सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकारों के मानवाधिकारों का उल्लंघन वहां आम है।
-इस्लामिक सहयोग संगठन भी साथ नहीं

सूत्रों के अनुसार कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर संकल्प का प्रस्ताव लाने के लिए पाकिस्तान कई दिन से जोर लगा रहा था, लेकिन उसे इस्लामिक सहयोग संगठन के सभी 57 देशों का भी समर्थन हासिल नहीं हो पाया। ज्यादातर देशों ने पाकिस्तानी अधिकारियों को समझा दिया कि जम्मू-कश्मीर का मसला भारत का अंदरूनी मामला है, अगर उस पर पाकिस्तान कुछ बात करना चाहता है तो वह भारत के साथ करे।
-भारत ने भेजा राजनयिकों का दल

पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया के नेतृत्व में राजनयिकों का दल ने यूएनएचआरसी में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों से मिलकर भारत की स्थिति के बारे में बताया। दल ने साफ किया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और उसके संबंध में वह पाकिस्तान से कभी भी वार्ता कर सकता है। इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दावा किया था कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में उन्हें 58 देशों का समर्थन मिल रहा है और वे कश्मीर से पाबंदियां हटाने की पाकिस्तान की मांग के साथ हैं।

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