केंद्रीय बजट 2020-21: टैक्स का हो सरलीकरण
कोविड महामारी ( Kovid epidemic ) के कारण सम्पूर्ण व्यापार जगत मंदी के दौर से गुजर रहा है ऐसे में नियमों ( simplifying the rules ) का सरलीकरण कर व्यापार जगत को राहत देना आवश्यक है। इसकी संदर्भ में फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एण्ड इंडस्ट्री (फोर्टी) ने आगामी केन्द्रीय बजट 2020-21 ( Union Budget 2020-21 ) में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों के बदलाव के सम्बंध में केन्द्र सरकार को सुझाव दिए।
केंद्रीय बजट 2020-21: टैक्स का हो सरलीकरण
जयपुर। कोविड महामारी के कारण सम्पूर्ण व्यापार जगत मंदी के दौर से गुजर रहा है ऐसे में नियमों का सरलीकरण कर व्यापार जगत को राहत देना आवश्यक है। इसकी संदर्भ में फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एण्ड इंडस्ट्री (फोर्टी) ने आगामी केन्द्रीय बजट 2020-21 में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों के बदलाव के सम्बंध में केन्द्र सरकार को सुझाव दिए।
फोर्टी अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल का कहना है कि आगामी बजट में मुख्य रूप से श्रम कानून में ढील दी जानी चाहिए, क्योकि वर्तमान में कड़े श्रम कानून के कारण उद्योगों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है इसके साथ-साथ औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए उद्योंगो के लिए बिजली दरों में भी कमी कि जानी चाहिए, उद्योग किसी भी राज्य के लिए राजस्व सृजन का प्रमुख स्रोत है। डीजल और पेट्रोल पर वैट कम किया जाना चाहिए, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरांचल जैसे नजदीकी राज्यों में डीजल और पेट्रोल की दरों को देखते हुए, वैट को डीजल और पेट्रोल पर कम किया जाना चाहिए।
मंदी का दौर देखते हुए व्यापारियों को सरकार से आगामी बजट को लेकर बहुत उम्मीद है मुन्किन है नये बजट में कुछ ऐसी नीतियां लाई जाएंगी, ताकि व्यापार व उद्योग को बढ़ावा मिल सकेगा। आयकर की धारा 115 बीबीई को संशोधन कर इसे मूल स्वरूप में लाना चाहिए। इस धारा के कारण 78 प्रतिशत की दर से आय पर टैक्स लगता हैं यह धारा व्यापार में पूंजी निवेश पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और आज व्यापार में पूंजी की काफी कमी हो गई है व्यापारी इसी कमी के कारण बैंकों को अपना ऋण नहीं चुका पा रहे हैं।
रियल स्टेट सेक्टर काफी समस्या में है और सरकार को कड़े प्रावधानों में बदलाव के लिए प्रभावी प्रयास करने चाहिए, जो कि रियल एस्टेट में नकद लेनदेन को रोकने के इरादे से किए गए थे। संपत्तियों की बिक्री और स्टाम्प ड्यूटी के पंजीकरण में छूट दी जानी चाहिए । आवासीय और वाणिज्यिक निर्माणों में जनता द्वारा बनाए गए भवन कानूनों के उल्लंघन की कंपाउंडिंग के लिए एक बहुत ही उचित और रियायती कंपाउंडिंग शुल्क का भुगतान करके एक समय पर निपटान की अनुमति देने वाली योजना बनाई जानी चाहिए। रीको द्वारा अधिक से अधिक भूमि उद्योगों के लिए उपलब्ध कराई जानी चाहिए। सरकार को डीएलसी दरों को कम किया जाना चाहिए। वर्तमान में रियल एस्टेट सेक्टर काफी समस्या में है। कुछ क्षेत्र में वास्तविक बाजार मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित डीएलसी दरों से बहुत कम है।
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