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जयपुर

देश के अनोखे रेलवे स्टेशन, जिनका नहीं है कोई नाम

भारत में ऐसे दो रेलवे स्टेशन है जिनका कोई नाम नहीं है। एक स्टेशन पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में हैं तो दूसरा स्टेशन झारखंड के रांची में स्थित है।

जयपुरFeb 27, 2020 / 05:48 pm

Nitin Sharma

देश के अनोखे रेलवे स्टेशन, जिनका नहीं है कोई नाम

देश के अनोखे रेलवे स्टेशन, जिनका नहीं है कोई नाम

जयपुर . भारतीय रेलवे एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है और देश भर में कुल 7612 रेलवे स्टेशन है। कई रेलवे स्टेशन अपनी खासियत के कारण चर्चा में रहते हैं तो कई अपने अजीब नाम के कारण। ऐसे में आपको यह बात सामान्य सी लग सकती है, लेकिन अगर आपको पता चले की देश में ऐसे भी रेलवे स्टेशन है जिनके कोई नाम नहीं है तो आपको हैरानी जरूर होगी। क्योंकि बिना नाम के कोई रेलवे स्टेशन कैसे हो सकता है। दूसरी तरफ यह यात्रियों के लिए भी बड़ी समस्या है कि वो बिना नाम के रेलवे स्टेशन से यात्रा कैसे कर सकते हैं। भारत में ऐसे दो रेलवे स्टेशन है जिनका कोई नाम नहीं है। एक स्टेशन पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में हैं तो दूसरा स्टेशन झारखंड के रांची में स्थित है।
देश के अनोखे रेलवे स्टेशन, जिनका नहीं है कोई नाम
विवाद के बाद अधर में लटका स्टेशन का नाम
साल 2008 में पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले के बर्धमान टाउन से 35 किलोमीटर दूर एक बांकुरा-मैसग्राम रेल लाइन पर एक रेलवे स्टेशन बनाया गया। लेकिन इस स्टेशन के निर्माण के बाद से ही इसके नाम को लेकर विवाद हो गया। दरअसल, इस स्टेशन का नाम पहले रैनागढ़ रखा गया था, लेकिन रैना गांव के लोगों को यह बात जमी नहीं। ऐसे में रैना गांव वालों ने रेलवे बोर्ड से इस मामले की शिकायत की। जिसके बाद से ही यह मामला अधर में लटका हुआ है। ऐसे में रेलवे स्टेशन का कोई नाम ना होने के कारण यात्रियों को इसके कारण काफी परेशानी होती है।
देश के अनोखे रेलवे स्टेशन, जिनका नहीं है कोई नाम
स्टेशन पर नाम का साइन बोर्ड नहीं देखने मिलता
झारखंड की राजधानी रांची से टोरी जाने वाली ट्रेन जब लोहरदगा के आगे गुजरती है तो एक ऐसा रेलवे स्टेशन आता है जिसका कोई नाम नहीं है। इस रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में जो यात्री चढ़ते हैं उनके पास बड़कीचांपी का टिकट होता है, लेकिन रेलवे स्टेशन पर नाम का कोई साइन बोर्ड नहीं मिलता। साल 2011 में इस स्टेशन से पहली बार ट्रेन का परिचालन हुआ था। उस दौरान रेलवे ने इस स्टेशन का नाम बड़कीचांपी रखना चाहा, लेकिन कमले गांव के लोगों ने इसका विरोध किया। कमले गांव के लोगों का कहना है कि इस रेलवे स्टेशन के लिए उन्होंने जमीन दी थी उन्हीं के गांव वालों ने इस स्टेशन के निर्माण के दौरान मजदूरी की थी। इसके कारण इसका नाम कमले होना चाहिए। इस रेलवे स्टेशन पर आस पास के करीब दर्जन भर गांव वाले लोग अपने गंतव्य पर जाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। हालांकि रेलवे के दस्तावेजों में इस स्टेशन का नाम बड़कीचांपी ही है।

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