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जयपुर

BHU Firoz Dispute : Yogi AdityaNath ने आखिर क्यों नहीं की Ashok Gahlot से बात?

मुख्यमंत्री गहलोत ने किया था यूपी सीएम योगी को फोनफोन लगा और कट गया, नहीं हुई दोनों की बातफिरोज खान विवाद को लेकर गहलोत ने किया था फोन गहलोत ने अफसरों के जरिए योगी तक पहुंचाया अपना संदेश

जयपुरNov 22, 2019 / 01:43 pm

Pawan kumar

क्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बात नहीं करना चाहते हैं। ये सवाल उठा है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक बयान के बाद। मामला राजस्थान के बगरू के रहने वाले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत के असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज खान से जुड़ा है।
जब गहलोत ने योगी आदित्यनाथ को फोन लगाया फोन लगा और फोन कट गया। इसके कारण योगी आदित्यनाथ से बात नहीं हो पाई। ये खुद गहलोत ने बताया। लेकिन फोन कटने के बाद ना तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यूपी सीएम का नम्बर री-डायल किया और ना ही योगी आदित्यनाथ की तरफ से गहलोत को फोन लगाया गया। योगी आदित्यनाथ से फोन नहीं लगने के कारण मुख्यमंत्री गहलोत ने अधिकारियों के जरिए योगी से बीएचयू मामले में दखल देने का आग्रह किया। योगी आदित्यनाथ का फोन लगने और कटने के बाद दोनों तरफ से दोबारा फोन नहीं लगाना राजनीतिक स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा है कि योगी आदित्यनाथ बनारस हिन्दू विवि में डॉ फिरोज खान को संस्कृत शिक्षक के रूप में नियुक्ति को लेकर गहलोत से बात नहीं करना चाहते हैं। गहलोत ने योगी के डिप्टी दिनेश शर्मा से बात कर डॉ फिरोज मामले में दखल देने के लिए कहना पड़ा। जिस तरह से बीएचयू में डॉ फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। और विवि प्रशासन विरोध करने वालों पर नरमी बरत रहे हैं, उससे ये स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले में विरोध करने वालों के साथ है। ये अलग बात है कि अब डॉ फिरोज खान के समर्थन में भी आवाजें उठने लगी है। लेकिन राजनीतिक प्रतिद्वंदिता का आलम ये है कि भाजपा शासित राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कांग्रेस शासित प्रदेश राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत से बात तक नहीं करना चाहते हैं। जबकि डॉ फिरोज खान का मामला दोनों राज्यों से जुड़ा हुआ है।
आरएसएस, भाजपा सीखे सबक
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बनारस हिन्दू विवि में डॉ फिरोज की संस्कृत शिक्षक के रूप में नियुक्ति का उदाहरण देकर आरएसएस और भाजपा पर भी निशाना साधा। गहलोत ने कहा कि एक मुस्लिम व्यक्ति संस्कृत भाषा की पढ़ाई करके इस विषय का प्रोफेसर बन सकता है। इससे साबित होता है कि भारत में गंगा—जमुनी तहजीब कायम है। ऐसे भी बहुत से हिन्दू हैं, जो उर्दू शायर बने हैं। फिरोज खान मामले से आरएसएस, भाजपा और बजरंगदल जैसे हिन्दूवादी संगठनों को सबक लेना चाहिए कि एक मुस्लिम भी संस्कृत शिक्षक बन सकता है। देश में धर्म के नाम पर लोगों से भेदभाव करना गलत है।
एक बात तो तय है कि बनारस हिंदू विवि में डॉ फिरोज खान की संस्कृत भाषा के असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति पर उठा सियासी विवाद दूर तलक जाएगा। हर राजनीतिक पार्टी अपने-अपने हिसाब से इस मामले को भुनाने की कोशिश करेगी।
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