बकौल वरुण, सिंगल मदर होने के बावजूद मां ने मेरा पूरा सपोर्ट किया। मां ने कहा था कि यदि तुम्हें एक्टिंग में ही जाना है तो अभी से इसकी तैयारी में लग जाओ और क्राफ्टिंग शुरू कर दो। लिहाजा मैंने थिएटर स्टार्ट कर दिया। पैरेंट्स और बच्चों के रिलेशन को लेकर वरुण ने कहा कि अपने बच्चों के जील और इंफ्लुएंस के फर्क को समझना चाहिए। दूसरा उन्हें एक सिरे से नकारना नहीं चाहिए। ये सच है कि कई बार हम छोटी उम्र में दूसरों को देखकर ऐसी फील्ड का चुनाव कर लेते हैं, जिसमें हमारा डेडिकेशन नहीं होता। यदि मैं भी इंफ्लुएंस बेस पर एक्टिंग फील्ड को चुनता तो दो-तीन दिन में ही बोर होकर वापस घर लौट जाता। एक्टिंग के प्रति अपने पैशन के बारे में उन्होंने कहा, ‘मुझे हमेशा मोटिवेट किया गया। मेरे स्कूल में एक प्ले था और उसमें संजय दत्त चीफ गेस्ट के रूप में आने वाले थे। इसलिए उस नाटक का हिस्सा बनने के लिए मैंने प्ले टीचर को पेड का रोल देने तक की बात कही थी।’
वरुण ने कहा कि आजकल एक्टिंग और ओरिजनल लुक पर ज्यादा फोकस होने लगा है। एक जमाने में अच्छी बॉडी इंडस्ट्री की डिमांड होती थी, लेकिन अब स्क्रिप्ट तय करती है कि उन्हें कैसे एक्टर चाहिए। नवाजुद्दीन सिद्दिकी और राजकुमार राव जैसे कई एग्जाम्पल अभी हमारे सामने हैं।