टैक्सी एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मानें तो शहर में 35 हजार टैक्सी हैं। इनमें से 80 फ़ीसदी गाड़ियां लोन पर है। किस्त भी औसतन 14 हजार से लेकर 35 हजार रूपए तक है। ऐसे में किस्त चुकाना किसी भी वाहन मालिक के लिए आसान नहीं है।
टैक्सी संचालकों का कहना है कि मार्च से ही आवाजाही ठप है। इस स्थिति में विदेशी सैलानियों की आवाजाही कम से कम 10 महीने नहीं होगी। देसी सैलानी भी गाड़ी किराए पर देने से डरेंगे। राजधानी में सबसे अधिक सैलानी अमेरिका और यूरोपीय देशों से आते हैं।
— प्रदीप पाराशर, प्रदेश महासचिव, ऑल राजस्थान टूरिस्ट कार एसोसिएशन