आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं वेटरनरी सर्विस ,फिर भी कार्मिकों की कोविड संबंधी कार्यों में ड्यूटी
आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं वेटरनरी सर्विसफिर भी कार्मिकों की कोविड में ड्यूटी लगाने के निर्देशवेटरनरी संस्थान खोले जाने के लिए बनाया जा रहा दबाबअधिकारी कर रहे राजस्थान एपेडेमिक डिजीज एक्ट 2020 का उल्लंघन
आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं वेटरनरी सर्विस ,फिर भी कार्मिकों की कोविड में ड्यूटी
जयपुर, 23 अप्रेल
एक तरफ सरकार ने पशु चिकित्सा सेवाओं (Veterinary services) को आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं किया है, तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश के कई जिलों में पशु चिकित्सा कार्मिकों की सेवाओं का अधिग्रहण कर उनकी ड्यूटी कोविड संक्रमित मरीजों को बेहतर उपचार व्यवस्था कराने अन्य सुविधाएं सुचारू रूप से उपलब्ध करवाने के लिए लगाई जा रही है। साथ ही उन पर पशु चिकित्सा संस्थानों (Veterinary services) को नहीं खोले जाने पर वेतन कटौती और अन्य अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने का दबाब बनाए जाने के मामले सामने आ रहे हैं।
ये निर्देश किए हैं जारी
आपको बता दें कि कुछ जिलों में जिला कलेक्टर की ओर से इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। जिला कलेक्टर भरतपुर हिमांशु गुप्ता के निर्देशों के मुताबिक कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस महामारी के दौरान कोविड संक्रमित मरीजों को बेहतर उपचार व्यवस्था कराने अन्य सुविधाएं सुचारू रूप से उपलब्ध करवाने के लिए जिले के आयुष विभाग और पशुपालन विभाग के सभी अधिकारी और कर्मचारियों की सेवाओं का अधिग्रहण किया जाना जरूरी है। इसी प्रकार नागौर कलेक्टर ने भी पशु चिकित्सा कार्मिकों की सेवाएं लेने के आदेश जारी कर दिए हैं।
बनाया जा रहा अनुचित दबाब
इतना ही नहीं कुछ जिलों में जिला संयुक्त निदेशक पशुचिकित्सा संस्थाओं को खोलने के लिए अनुचित दबाब बना रहे हैं,जो सरकार के अधिकारों पर अतिक्रमण है। यानी अधिकारी राजस्थान एपेडेमिक डिजीज एक्ट 2020 और आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 का उल्लंघन कर रहे हैं क्योंकि एक्ट के मुताबिक केवल वही सरकारी कार्यालय खोले जा सकते हैं जो आवश्यक सेवाओं में शामिल हैं।
नहीं मिल रही विशेष सुविधाएं
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पशु चिकित्सा कार्मिकों को कोविड के तहत फ्रंटलाइन वर्कर नहीं माना बल्कि सामान्य सेवाओं में रखा है। जिन सेवाओं को आपातकालीन सेवाओं में माना गया हैं उन्हें सभी विशेष सुविधाएं दी गई हैं।
यह है अन्य विभागों की तुलनामें पशुपालन विभाग के कार्मिकों की स्थिति
सुविधाएं चिकित्सा विभाग के कार्मिक पुलिसकर्मी पशुचिकित्सा कर्मी
वेतन कटौती नहीं नहीं हां
वेतन स्थगन नहीं नहीं हां
चुनाव ड्यूटी नहीं नहीं हां
मैस भत्ता हां हां नहीं
कोविड ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर बीमा हां हां नहीं
कोविड वैक्सीनेशन सबसे पहले प्राथमिकता के आधार पर नहीं
कोविड से बचाव के साधन सम्पूर्ण सम्पूर्ण कुछ भी नहीं
इनका कहना है,
जन अनुशासन पखवाड़े के दौरान सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन में पशु चिकित्सा सेवाओं को आपातकालीन सेवाओं में शामिल नहीं किया गया है। ना ही कार्मिक की कोविड संक्रमण से मौत होने पर 50 लाख रुपए मुआवजा राशि का प्रावधान है। पशु चिकित्सा कर्मियों को कोविड वैक्सीन भी नहीं लगाई गई है। ऐसे में जिला कलेक्टर पशु चिकित्सा कार्मिकों की सेवाओं का अधिग्रहण कर ना केवल गृह विभाग द्वारा जारी गाइड लाइन का उल्लंघन कर रहे हैं साथ ही उनका जीवन खतरे में डाल रहे हैं। संघ ने बार बार सरकार से आग्रह किया है कि पशु चिकित्सा सेवाओं को अविलंब आपातकालीन सेवाओं में शामिल कर फ्रंट लाइन वर्कर को देय सभी लाभ स्वीकृत करने के पश्चात ही सेवाओं का अधिग्रहण करें।
अजय सैनी,प्रदेशाध्यक्ष,
राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ
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