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जयपुर

जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अदालत में पेशी संभव नहीं

हाइकोर्ट ने वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी को सौंपा समाधान का जिम्मा

जयपुरMar 23, 2018 / 12:25 pm

Priyanka Yadav

rajasthan highcourt
जयपुर . राज्य सरकार ने पहले अध्यादेश के जरिए कानून लागू किया और फिर विधानसभा ने जेल से बंदियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी के लिए विधेयक पारित कर दिया, लेकिन हकीकत यह है कि अभी जयपुर जेल से भी बंदियों की कोर्ट में पेशी संभव नहीं है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) दीपक उप्रेती ने हाइकोर्ट को बताया कि जेल और कोर्ट के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के प्लेटफार्म अलग-अलग हैं इसलिए परेशानी आ रही है। इस पर कोर्ट ने वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी हेमन्त बाघेला को समस्या का पता लगाकर उसके समाधान में सहयोग के निर्देश दिए।
जेल की अव्यवस्थाओं के मामले में गुरुवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) दीपक उप्रेती, पुलिस महानिदेशक ओपी गल्होत्रा व अतिरिक्त महानिदेशक (जेल) भूपेन्द्र सिंह हाजिर हुए। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायाधीश गोवद्र्धन बाढ़दार की खण्डपीठ ने तीनों अधिकारियों से कहा कि 27 जनवरी 2016 को 45 बिन्दुओं पर निर्देश दिए थे, उसकी पालना के बारे में २५ अप्रेल तक अवगत कराया जाए। कोर्ट ने स्वप्रेरणा से दर्ज याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।
एक पखवाड़े में लग जाएंगे एनओवी

न्यायमित्र प्रतीक कासलीवाल ने कोर्ट का ध्यान दिलाया कि कोर्ट आदेश के बावजूद 22 अक्टूबर से जेल में निरीक्षण के लिए गैर सरकारी वॉलेन्टियर्स की नियुक्ति नहीं हुई है। नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना कराई जाए, केवल खानापूर्ति के लिए नियुक्ति नहीं हो। इस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि एक पखवाड़े में नियुक्ति कर दी जाएगी। न्यायमित्र ने इस पर कहा कि जेलों में रोटी बनाने की मशीन के लिए भी कोर्ट ने निर्देश दिए थे लेकिन पहले तो खराब मशीन लगाई और अब लगाई ही नहीं जा रही है। इस पर एसीएस ने कहा कि एक-दो माह में मशीन लगा दी जाएगी। पुरानी मशीनों का भुगतान रोक दिया गया है।
जारी रहेगा तलाशी अभियान

कोर्ट ने जेल में मोबाइल मिलने के मामले में जानकारी मांगी तो एडीजी जेल ने कहा कि तलाशी अभियान चल रहा है और आगे भी जारी रहेगा। कोर्ट ने कहा कि होली के फोटो जेल के भीतर से वायरल हुए। न्यायमित्र ने कहा, एक अभियुक्त का राजसमंद में व्यक्ति को जिंदा जला देने के मामले में जेल से वीडियो वायरल हुआ है। प्रशासन को नियमित सर्च अभियान चलाना चाहिए। इस पर पुलिस महानिदेशक ने जेल प्रशासन को सहयोग करने का भरोसा दिलाया।
200 – 300 बंदी जाते हैं रोजाना

एडीजी जेल ने कोर्ट को बताया कि रोजना दो सौ से तीन सौ कैदियों को पेशी के लिए कोर्ट ले जाया जाता है। इसी दौरान एसीएस ने बताया कि जेल का प्लेटफार्म डीओआइटी का है, जबकि कोर्ट का प्लेटफार्म एनआइसी का है। इसलिए वीसी में परेशानी हो रही है।
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