जयपुर

आखिर बिना हथकड़ी के क्यों था विकास…? क्या कहते हैं नियम और कानून…?

vikas dubey encounter update… केवल गंभीर मामलों में ही गिरफ्तारी के समय हथकड़ी लगाया जा सकता है या ऐसा रिकॉर्ड है कि अपराधी भाग सकता है या आत्महत्या कर सकता है तो लिखित कारण देते हुए लिखित आर्डर देते हुए न्यायिक अधिकारी के आदेश पर हथकडी लगाई जा सकती है।

जयपुरJul 10, 2020 / 12:03 pm

JAYANT SHARMA

Kanpur Encounter

जयपुर
जब पुलिस किसी आरोपी को जब अदालत लाती है और उसे वापस थाने या जेल ले जाती है या फिर उसे गिरफ्तार करने के बाद लंबी दूरी तय करती है तो उसे हथकड़ी लगा देती है या हाथ पैर में जंजीर बाँध दी जाती है…। ऐसा अक्सर होता भी है और सभी ने इसे देखा भी होगा…। लेकिन अफसर समेत आठ पुलिसवालों के हत्यारे, साठ अपराध के दर्ज मामले और कई बार पुलिस की नाक में दम करने वाले जघन्य अपराधी विकास दुबे के मामले में ऐसा नहीं हुआ, वह आराम से पुलिसवालों के साथ बैठकर क्यों आ रहा था, इस बारे में कोई जवाब देने को अभी तैयार नहीं है। आपको बताते हैं कि हथकड़ी लगाने के नियम क्या कहते हैं…

आखिर किन अपराधियों को लगाई जाती है हथकड़ी
अधिवक्ता मनोज मुद्गल बताते हैं कि हमारे देश का कानून यह कहता है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित शर्ते पूरा करने पर ही किसी व्यक्ति को हथकड़ी लगाई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के दो फेमस केस हैं जिनके आधार पर इस नियम को समझा जा सकता है। पहला केस है सुनील बत्रा बनाम दिल्ली प्रशासन,1978 और दूसरा केस है प्रेम शंकर शुक्ल बनाम दिल्ली प्रशासन 1980। दोनो केसेज में इस बारे में गाइडलाइन दी गई है।
इन शर्तों के आधार पर लगती है हथकड़ी
1.केवल अजमानतीय (गंभीर) अपराध के मामलों में ही हथकडी लगाई जा सकती है।
2.यदि अभियुक्त का पहले कोई रेकॉर्ड रहा है या चरित्र रहा है कि वह हिंसक हो सकता है, लोक शन्ति भंग कर सकता है, तोड़ फोड़ कर सकता है, या गिरफ्तारी में रुकावट डाल सकता है।
3.वह सुसाइड कर सकता है या भाग सकता है, पुलिस से घिरे रहने के बावजूद भी।
4.और मान्य कारण होने पर न्यायिक अधिकारी के आदेश पर भी हथकडी लगाई जा सकती हैं।

पुलिस किसी को हथकड़ी लगाना चाहती है तो ये हो सकते हैं नियम
अगर पुलिस किसी को हथकड़ी लगाना चाहती है तो उसे युक्तियुक्त कारण बताते हुए संबंधित न्यायालय से पूर्व अनुमति लेनी होगी। यदि पुलिस बिना किसी कारण के किसी व्यक्ति को हथकड़ी लगाती है, तो यह उसके मौलिक अधिकार का हनन होगा। और यह कंटेम्ट आफ कोर्ट माना जा सकता है। माना जायेगा, इसपर उस अधिकारी को सजा मिलेगी। केवल गंभीर मामलों में ही गिरफ्तारी के समय हथकड़ी लगाया जा सकता है या ऐसा रिकॉर्ड है कि अपराधी भाग सकता है या आत्महत्या कर सकता है तो लिखित कारण देते हुए लिखित आर्डर देते हुए न्यायिक अधिकारी के आदेश पर हथकडी लगाई जा सकती है। साथ ही पुलिस डेली डायरी मेंटेन करेगी और हथकडी लगाने का कारण लिखेगी। यदि रुटीन कार्रवाई के दौरान हथकड़ी लगाई जाती है, तो यह मौलिक अधिकार के विरूद्ध होगा। कोट का यही कहना है कि किसी भी व्यक्ति को जानवरों की तरह नहीं बांधा जा सकता फिर चाहे वह कोर्ट ले जाने के दौरान हो या फिर इलाज के दौरान अस्पताल में ही क्यों नहीं हो। अधिवक्ता मुद्गल ने बताया कि हथकड़ी लगाना व्यक्ति के सेल्फ रेस्पेक्ट के विरूध होगा।

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