इन बांधों के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमणों की बाढ़ का नतीजा यह रहा कि ये छोटे बांध कुल भराव क्षमता 4526 मिलियन क्यूबिक मीटर के मुकाबले 2104 मिलियन क्यूबिक मीटर ही भर सके। जबकि 22 बडे बांधों में कुल भराव क्षमता 8104 मिलियन क्यूबिक मीटर के 6941 मिलियन क्यूबिक मीटर यानि 85 प्रतिशत तक भर गए।
40 प्रतिशत तक ही भर सके छोटे बांध
जल संसाधन विभाग के अनुसार प्रदेश में 256 लघु और मध्यम और अन्य छोटे बांधों को मिला कर कुल 742 बांध हैं। पूरे मानसून में इन बांधों में 40 प्रतिशत से ज्यादा पानी नहीं आया। एक एक बांध की स्थिति के हिसाब से देखें तो 229 बांधों तक मानसून का पानी पहुंचा ही नहीं। इसके अलावा 365 बांधों को सिर्फ पानी आया जैसी स्थिति से ही सब्र करना पड़ा। 148 बांध इसलिए भाग्यशाली रहे कि इनके बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण और एनीकट नहीं थे इसलिए इनमें पानी आया और ये लबालब हो गए।
पंचायत के जिम्मेदार चाहते तो इन बांधों में भी आता पानी
असल में प्रदेश के 22 बडे बांध ही जल संसाधन विभाग के अधीन हैं। अन्य छोटे बडे 742 बांध पंचायतों के अधीन हैं। पंचायत क्षेत्रों के अधीन बांधों के बहाव क्षेत्रों में अतिक्रमण की रोकथाम की कोई प्रभावी व्यवस्था नही है। ऐसे में इन बांधों के बहाव क्षेत्र अतिक्रमण की बाढ़ में पूरी तरह से छुप गए हैं।
600 से ज्यादा अतिक्रमणों ने रोका रामगढ़ का पानी
जयपुर के रामगढ़ बांध का भी यही हाल रहा। इस बांध के बहाव क्षेत्र में 600 से ज्यादा अतिक्रमणों ने बारिश के पानी को बांध तक आने से रोक दिया। जिससे इस बार भी बांध में एक बूंद भी पानी नहीं आया।