ज्ञापन पर 18 प्रशासनिक, 20 न्यायिक व वरिष्ठ अधिवक्ता, 14 शिक्षाविद, 22 सामाजिक, 6 सेना व पद्मश्री प्राप्त, 15 पदक विजेता खिलाड़ी सहित अन्य क्षेत्र से जुड़े लोगों के हस्ताक्षर है। ज्ञापन को मेल के माध्यम से भेजा गया है। ज्ञापन के माध्यम से पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर गम्भीरता पूर्वक ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा है कि बंगाल में हिंसा के कारण न केवल लोकतंत्र के आधारभूत सिद्धांत ‘स्वतंत्र चुनाव’ को गहरी चोट पहुंची है, वरन संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित ‘गरिमामय जीवन के अधिकार’ का व्यापक स्तर पर हनन हुआ है। वहां ‘नागरिकों के जीवन, संपत्ति व अधिकारों की रक्षा करने के पवित्र दायित्व’ से राज्य शासन विमुख हो रहा है।
ज्ञापन में रखी ये मांग —बंगाल में तत्काल हिंसा रोकी जाए
—हिंसा के जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाए
—हिंसा पीड़ितों को पर्याप्त सुरक्षा देने के साथ ही उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए
—स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन की असफलता को देखते हुए केंद्रीय बलों की बंगाल में नियुक्ति की जाए
—पीड़ितों के सुरक्षित पुनर्वास एवं सुरक्षित भविष्य को सुनिश्चित किया जाए