यह कौनसी लत है सरकारी अफसर-कर्मचारियों में, जो छूटती ही नहीं
देर से आते हैं, या आते ही नहीं
जयपुर. सरकारी अफसरों और कर्मचारियों को लगी लत छूट ही नहीं रही। बड़ी संख्या में अफसर-कर्मचारी देर से दफ्तर पहुंचते हैं। आला अफसर मौजूद न हो तो सवाल ही नहीं कि वे उपस्थित हो जाएं। इसके शुक्रवार को फिर उदाहरण सामने आए।
हुआ यों कि कानून व्यवस्था को लेकर शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय से आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस में कई अधिकारी उपस्थित ही नहीं हुए। हालात ये रहे कि रेंज स्तर के तीन अधिकारी ही कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। वहीं कई जिला पुलिस अधीक्षक भी नदारद थे। कॉन्फ्रेंस के दौरान इस मुद्दे को लेकर पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने आपत्ति भी दर्ज कराई है। यह बैठक दीपावली, विधानसभा उपचुनाव व अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले के दौरान कानून-व्यवस्था पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी। कॉन्फ्रेंस में पुलिस महानिदेशक भूपेन्द्र यादव शामिल होने वाले थे लेकिन अचानक अलवर दौरे पर निकल गए। इसके बाद कॉन्फ्रेंस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) एमएल लाठर व महानिदेशक (ट्रेनिंग) राजीव दासोत ने ली। पुलिस मुख्यालय में लाठर के अलावा कई अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक भी शामिल हुए। इसके विपरीत जिलों के अधिकारी नदारद रहे। रेंज स्तर के अधिकारियों में बीकानेर डीआइजी जोसमोहन, उदयपुर आइजी बिनीता ठाकुर, जोधपुर आइजी सचिन मित्तल ही उपस्थित थे। इसी तरह कई जिलों के पुलिस अधीक्षक के बजाय अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक या उप अधीक्षक उपस्थित हुए।
ऐसा ही हाल निरीक्षण में मिला। सरकारी कार्यालयों में अधिकारी और कर्मचारी समय पर पहुंचें और उनके काम सरकारी कार्यालयों में आसानी से हों, सरकार की इसी मंशा के अनुरूप प्रशासनिक सुधार विभाग ने सचिवालय और सचिवालय के बाहर स्थित सरकारी कार्यालयों में सख्ती करना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को सचिवालय में प्रशासनिक सुधार विभाग के 23 सदस्यीय निरीक्षण दल ने सचिवालय के विभिन्न सेक्शन और अधिकारियों के कक्षों का निरीक्षण किया। निरीक्षण में 993 राजपत्रित अधिकारियों में से 199 एवं 1906 अराजपत्रित कर्मचारियों में से 282 तय समय पर नहीं पहुंचे। प्रशासनिक सुधार विभाग के अधिकरियों के अनुसार निरीक्षण में 20.04 प्रतिशत कर्मचारी और 14.79 प्रतिशत अधिकारी अनुपस्थित मिले। विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आर. वेंकटेश्वरन ने बताया कि लगातार निरीक्षण के अच्छे नतीजे सामने आए हैं। सचिवालय में जहां 80 प्रतिशत कार्मिक समय पर नहीं पहुंचते थे, अब 10 से 12 प्रतिशत कार्मिक ही देरी से आते हैं।
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