सुबह सात बजे वापस चौखटी पर पहुंच गया। वहां पर मजदूरों से बातचीत की, आरोपी की फोटो दिखाई, तो कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया और नजदीक ही पवन विहार कॉलोनी में रहने वाला बताया। डोर-टू-डोर तलाश करनी थी, ऐसे में तकनीकी शाखा के कांस्टेबल देवराज और कांस्टेबल मंजू को बुलाकर घर-घर दस्तक दी। करीब पचास मकान में तलाश के बाद आरोपी हेमेन्द्र का मकान मिला। वहां पर बच्चा भी मिल गया, जिसे आरोपी और घर में मौजूद एक महिला अपना बच्चा बता रही थी। उनसे बच्चा लेने का प्रयास किया, लेकिन वे ना-नुकुर करने लगे। उनसे बच्चा छीना और उसकी फोटो क्लिक कर उच्चाधिकारियों को भेजी। बच्चे के परिजन को फोटो दिखाई तो उन्होंने पहचान लिया। आखिरकार इस तरह से बच्चा मिलने पर पुलिस ही नहीं पूरे जयपुर ने राहत की सांस ली। वहीं देवराज का कहना था कि बच्चे को तलाशने के बाद जब उन्हें माता पिता को सुपुर्द किया गया तो बहुत सुकून मिला। मात पिता के चेहरे पर इतनी खुशी थी कि उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल हैं।