इस दौरान कई गहलोत समर्थक विधायक भी सदन की कार्रवाई को छोड़ कर सचिन से मिलने पहुंचे। पूर्व उपमुख्यमंत्री करीब एक घंटा विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी के कक्ष में बैठे। उनसे मिलने आए विधायकों के कारण वहां कुर्सियां कम पड़ गई। गहलोत समर्थक माने जाने वाले कई विधायक और मंत्री भी सचिन से मिलने का मोह नहीं छोड़ पाए। विधायकों और मंत्रियों से बातचीत के दौरान सचिन बेहद सावधान दिखे।
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भावी मुख्यमंत्री बनने की तमाम चर्चाओं के बावजूद उन्होंने पत्ते नहीं खोले। पूछे जाने पर उन्होंने कांग्रेस आलाकमान के निर्णय का इंतजार करने की बात कही। इस दौरान सचिन को कई लोगों ने बधाई तक दे डाली, तो कुछ विधायकों ने कुरेदने का प्रयास किया कि क्या उन्हें राहुल गांधी की ओर से मुख्यमंत्री पद मिलने का ग्रीन सिग्नल मिल गया है। जवाब में सचिन ने एक सधी हुई मुस्कुराहट बिखेर दी।
इसके बाद पायलट सदन में जाकर अपनी सीट पर बैठ गए। उनकी सीट के पास में ही मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास की सीट थी। किसी समय खाचरियावास, सचिन खेमें में माने जाते थे, लेकिन बगावत के समय उन्होंने पाला बदल लिया था। ऐसे में सचिन की खाचरियावास से हुई बातचीत को लेकर भी कयास लगने लगे। थोड़ी देर बाद में भाजपा के वासुदेव देवनानी भी सचिन के पास जाकर बैठ गए। करीब पन्द्रह मिनट सदन में गुजारने के बाद वे विधानसभा के मुख्य दरवाजे पर इंतजार कर रहे मीडियाकर्मियों को छकाते हुए पूर्वी दरवाजे से बाहर निकल गए।