पुलिस के समन के बावजूद आसाराम के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी और वो हाजिर नहीं हुआ। हाजिर नहीं होने पर दिल्ली पुलिस ने आसाराम के खिलाफ धारा 342, 376 और 506 के तहत केस दर्ज कर लिया। पुलिस से बचने के लिए अपने आपको स्वयंभू मानने वाले आसाराम ने कथित तौर पर कई हथकंडे अपनाए। लड़की के परिवार को केस वापिस लेने के लिए धमकाने का भी आरोप लगा।
कोर्ट में खुले कई राज अदालत में मुकदमे की तफ्तीश के दौरान आसाराम पर लगे आरोप परत दर परत खुलते चले गए। लपेटे में आसाराम का बेटा नारायण सांई भी आया। कई महीनों तक लुकाछिपी खेलने के बाद आखिरकार सांई को भी गिरफ्तार कर लिया गया। फिलहाल आसाराम जोधपुर की जेल में बंद हैं और 25 अप्रेल को उन पर फैसला आने वाला है।
सेशन न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आसाराम की नौ जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं।
1. सितम्बर 2013 में जिला एवं सेशन न्यायालय ने उनकी पहली जमानत याचिका खारिज की।
2. राजस्थान हाईकोर्ट में उनकी अपील पर प्रसिद्ध विधिवेत्ता राम जेठमलानी उनकी पैरवी करने आए। उन्होंने पीडि़ता पर पीडाफीलिया (बाल यौन शोषण) बीमारी से पीडि़त बताया। एक अक्टूबर 2013 को हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
3. बीमारी का आधार बना आसाराम ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड का गठन कर उनकी जांच रिपोर्ट मांगी। मेडिकल बोर्ड ने दिल्ली स्थित एम्स में उनका इलाज कराने की सुझाव दिया। एम्स दिल्ली के मेडिकल बोर्ड ने उन्हें किसी प्रकार की गंभीर बीमारी से इनकार किया। इस रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में तीन न्यायाधीशों की बेंच ने बीस जनवरी 2015 को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
4. फरवरी 2015 में आसाराम ने जिला न्यायालय से जमानत हासिल करने का एक और प्रयास किया, लेकिन विफल रहे।
खतरे में थे गवाह
आसराम के कारनाम सामने के बाद जब उसे जेल में डाल दिया गया तो कई गवाहों की जान कथित रूप से खतरे में थी। 3 गवाह अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। आरोप लगे कि गवाहों को जान बूझते रास्ते से हटाने का काम किया जा रहा है। आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले कई लोगों पर हमले भी हुए। आपको बता दें कि इस मामले में वादी पक्ष के 58 और आरोपी पक्ष के पचास गवाह थे। वादी पक्ष की ओर से छह मुख्य गवाह थे, जिनमें पीड़िता का पिता, मां, कृपाल सिंह, राहुल सचान, महेंद्र चावला और मध्य प्रदेश की सुधा पटेल थीं। सुधा पटेल ने बाद में आसाराम के पक्ष में बयान दिया था।
आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले मुख्य गवाह वैद्य अमृत प्रजापति की मई 2014 में गोली मारकर हत्या कर दी गई। उधर मुजफ्फरनगर के गवाह अखिल गुप्ता को भी गोली मार दी गई। इसके अलावा गवाह कृपाल सिंह को भी गोली मार दी गई, जिसकी वजह से उसने दम तोड़ दिया।
35 साल के कृपाल को घर लौटते वक्त दो बाइक सवार ने गोली मारी थी। हमला शाहजहांपुर के सदर बाजार में हुआ। कृपाल को पीठ पर गोली मारी गई, जो उसकी रीढ़ की हड्डी को छू गई थी। कहा गया कि कृपाल पर हमला करने वाले पेशेवर हत्यारे थे। कृपाल सिंह को इलाज के लिए बरेली लाया गया और वेंटिलेटर पर रखा गया था। लेकिन वो नहीं बच सका। हमले के एक दिन बाद उसकी मौत हो गई।
— जोधपुर कोर्ट में गवाही के दौरान लखनऊ के रहनेवाले राहुल सचान पर फरवरी 2015 में चाकू गोद दिए गए। संयोगवश वो बच गया।
— पानीपत के महेंद्र चावला को मई 2015 में गोली मार दी, वो घायल हो गए।
— सूरत में भी एक गवाह विमलेश ठक्कर पर हमला हुआ।
— सूरत में ही एक महिला गवाह के पति राकेश पटेल पर हमला, पर वो बच निकले
— गवाह दिनेश भागचंदानी और राजू चांडक पर हमला
पीड़िता के पिता पर हमला
आसाराम के समर्थकों पर आरोप है कि उन्होंने सबसे पहले पीड़िता के पिता को ही गवाही ना देने के लिए निशाना बनाया। गवाही के लिए जोधपुर के एक होटल में ठहरे पीड़िता के पिता पर हमले की कोशिश की गई, लेकिन पुलिस सुरक्षा में उनकी जान बच गई।