रूट 1: एमपी, मंदसौर, नीमच, झालावाड़, अकलेरा, भवानी मंडी, कोटा, टोंक, जयपुर
रूट 2: चित्तौडगढ़़, भीलवाड़ा, अजमेर, किशनगढ़, जयपुर, फिर हरियाणा, पंजाब, दिल्ली
रूट 3: अंतरराज्यीय तस्करी- दिल्ली-जयपुर, आगरा-जयपुर और एमपी-कोटा-जयपुर
तस्करी करने के भी तीन तरीके हैं। पहला ट्रेन से, दूसरा बस और तीसरा निजी वाहन। ट्रेन से तस्करी करने वालों को पकडऩा आसान हो सकता है। स्टेशन उतरने के दौरान ही सघन तलाशी और रेलवे की मदद से तस्करों को पकड़ा जा सकता है। इसी बसों से होने वाली तस्करी के लिए पुलिस को मुखबिर तंत्र विकसित करना होगा, ताकि बीच रास्ते उन्हें पकड़ा जा सकें। अधिकांश तस्करों को जब बस जयपुर पहुंच चुकी होती है, तभी पकड़ा गया है। इसी तरह निजी वाहनों से होने वाली तस्करी रोकनी है तो मुख्य राजमार्गों पर बने टोल प्लाजा व पुलिस के नाकों पर सघन जांच करनी ही होगी।
ऐसे बनाई योजना
जयपुर में प्रवेश करने वाले रास्तों पर पुलिस लगातार सघन अभियान चला रही है। पुलिस अधिकारियों की मानें तो ओडिशा, पश्चिम बंगाल से आने वाला मादक पदार्थ आगरा-जयपुर राजमार्ग से आता है। वहीं एमपी, झालावाड़, चित्तौडगढ़़, टोंक से तस्करी टोंक रोड से की जाती है। डॉग स्क्वॉयड मिलने के बाद पुलिस ने सिंधी कैम्प, रेलवे स्टेशन, घाटगेट, ईदगाह, पंडित नवल किशोर मार्ग, चौमूं पुलिया, पुराना रामगढ़ मोड, चांदी की टकसाल, नारायण सिंह तिराहा, दुर्गापुरा, कुंभा मार्ग स्थान चिह्नित किए हैं, जहां पर बसों की नियमति जांच की जा रही है। वहीं निजी वाहनों की तलाशी के लिए दौलतपुरा, टाटियावास, शिवदासपुरा, बस्सी और बगरू टोल प्लाजा पर निगरानी रखी जा रही है।