मुख्य सचिव ने मंगलवार को सचिवालय में रेलवे ट्रेक पर पशुओं की दुर्घटना के संबंध में जोधपुर डीआरएम गीतिका पाण्डेय, संबंधित विभाग के अधिकारियों और जिला कलेक्टरों के साथ हुई बैठक में यह बात कही। उन्होंने कहा कि जोधपुर, जैसलमेर, पाली, बाडमेर, जालौर, नागौर बीकानेर और चूरू जिलों में लगभग 200 किलोमीटर लम्बा रेलवे ट्रेक का क्षेत्र है, जो पशु दुर्घटनाओं की दृष्टि से संवेदनशील है। उन्होंने बैठक में पालतू पशुओं तथा आवारा पशुओं को ट्रेक पर आने से रोकने के विभिन्न उपायों पर चर्चा की और विभाग के अधिकारियों और जिला कलेक्टरों से भी इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए सुझाव मांगे। आर्य ने कहा कि यह एक गंभीर समस्या है और राज्य सरकार द्वारा शीघ्र ही इस संबंध में ठोस उपाय किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिन ग्राम पंचायतों में यह क्षेत्र आता है उनकी पहचान कर ट्रैक के किनारों पर सुरक्षात्मक उपाय किये जाने के साथ साथ वहां के लोगों को भी इस विषय में जागरूक किया जाना चाहिये। इस काम में रेलवे का सहयोग भी लिया जाएगा।
उन्होंने जिला कलेक्टरों से अपने जिले के ऐसे हॉट स्पॉट चिह्नित करने के लिए कहा। साथ ही कृषि विभाग, पंचायती राज विभाग, परिवहन विभाग, पशुपालन विभाग को आपसी समन्वय से इस समस्या के समाधान के लिए विस्तृत कार्य योजना बनाने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि ट्रैक के किनारों पर ट्रेंचेज बनाने से यदि इस समस्या का समाधान किया जा सकता है, तो इस कार्य को नरेगा के माध्यम से कराने पर भी विचार किया जाएगा।
बैठक के दौरान जोधपुर डीआरएम द्वारा इस संबंध में रेल्वे द्वारा समय समय पर किये गए प्रयासों को प्रजेन्टेशन के माध्यम से बताया। उन्होंने बताया कि रेलवे सुरक्षा बल के माध्यम से पशुधन बचाओ अभियान के तहत वृहद् स्तर पर गांव गांव में जन जागरूकता के काम किये गए। उन्होंने सुझाव दिया कि रेलवे के डिस्कार्ड किए गए स्लीपर्स को भी फेंसिंग के काम में लिया जा सकता है।
इस अवसर परक कृषि, उद्यानिकी एवं पंचायती राज (कृषि) विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजी लाल मीणा, पशुपालन, मत्स्य एवं गोपालन विभाग शासन सचिव, डॉ. आरूषी मलिक उपस्थित थे। बैठक में शासन सचिव गामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग मंजू राजपाल, शासन सचिव, परिवहन विभाग रवि जैन एवं जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर, पाली तथा अन्य संबंधित जिलों के कलक्टर ने वीसी के माध्यम से भाग लिया।