विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान (38) का परिवार तीन पीढिय़ों से देश की रक्षा-सुरक्षा में अहम योगदान देता रहा है। अभिनंदन के न केवल पिता बल्कि दादा भी वायुसेना में रह चुके हैं। उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में दुश्मन के छक्के छुड़ाए थे। इतना ही नहीं उनकी पत्नी और भाई भी वायुसेना से जुड़े रहे हैं। अभिनंदन के पिता एयर मार्शल सिम्हाकुट्टी वर्धमान पांच साल पहले ही सेवानिवृत्त हुए हैं। वे देश के उन चुनिंदा पायलटों में शुमार हैं, जिनके पास 40 तरह के विमान और 4000 घंटे से ज्यादा उड़ान भरने का अनुभव है। वे करगिल युद्ध के दौरान मिराज स्क्वाड्रन के चीफ ऑपरेशन्स ऑफिसर थे। तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले के रहने वाले अभिनंदन 2004 में फाइटर पायलट के तौर पर वायुसेना में शामिल हुए थे। वर्तमान में मिग-21 बिसन विमानों की स्क्वाड्रन का नेतृत्व कर रहे हैं।
स्कूल की दोस्त से की शादी
अभिनंदन ने अपनी स्कूल के समय की मित्र तन्वी मारवाह से ही शादी की है। तन्वी भी वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर पद पर रही हैं। दोनों पांचवीं कक्षा से एक-दूसरे को जानते थे। दोनों ने कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी की डिग्री भी एकसाथ हासिल की थी। दोनों के दो बच्चे हैं।
भारतीय वायु सेना का ये वीर विंग कमाण्डर अभिनंदन बीकानेर के नाल एयरफोर्स स्टेशन पर भी तीन वर्ष तक रहे हैं। करीब पौने दो साल पहले ही उनका यहां से तबादला हुआ था। उनकी जांबाजी की एयरफोर्स के सभी कर्मचारियों व यहां के लोग सराहना और खुद को गौरान्वित महसूस कर रहे हैं और उनकी वीरता के लिए बधाईयां दे रहे हैं। अभिनंदन यहां एयरफोर्स की आवासीय कॉलोनी में ऊपर के ब्लॉक में परिवार के साथ रहते थे। उस समय उनकी पत्नी व छोटा बेटा उनके साथ रहते थे।
अभिनंदन की शुरुआती परवरिश जोधपुर में हुई
अभिनंदन का नाता जोधपुर से रहा है। उनके पिता एस. वद्र्धमान जोधपुर एयरबेस पर अस्सी के दशक में स्क्वाड्रन लीडर के रूप में तैनात थे। वे भी डेजर्ट स्क्वाड्रन में मिग विमान के पायलट थे। वद्र्धमान एयर मार्शल के पद से सेवानिवृत्त हुए और फिलहाल चैन्नई में रहते हैं। अभिनंदन की शुरुआती परवरिश उनके पिता के साथ जोधपुर में ही हुई थी। वे यहां स्थानीय स्कूल में भी पढ़े। पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए अभिनंदन वर्ष 2004 में भारतीय वायुसेना में कमिशन्ड हुए थे। इस दौरान वे जोधपुर भी कई बार आ चुके हैं। उनके कई साथी जोधपुर एयरबेस पर विभिन्न स्क्वाड्रन में तैनात हैं।