बस कंडक्टर ने किया अनसुना
दोपहर के 3 बजे
टोंक फाटक से रिद्धि-सिद्धि तक सात नंबर बस का सफर तय किया। बस में इतनी भीड़ थी कि खड़ा होने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं थी। जैसे ही स्टॉपेज बस के ब्रेक लगते अपने आप को भी संभालना मुश्किल हो रहा था और यात्री एक-दूसरे पर गिर रहे थे। ऐसी भी में एक महिला का सफर करना बहुत मुश्किल है। इसलिए रिपोर्टर अपने आप को सुरक्षित करने के लिए महिला सीट पर बैठे पुरुष यात्री को उठाने के लिए बस कंडक्टर को कहा तो कंडक्टर ने कहा कि पहले आप बात करो। रिपोर्टर ने पुरुष यात्री ने सीट से उठने के लिए मना कर दिया। जब इस बारे में रिपोर्टर ने बस के कंडक्टर से कहा तो कंडक्टर ने रिपोर्टर की ओर देखा लेकिन कुछ नहीं किया। जब रिपोर्टर ने दोबारा कहा तो कंडक्टर ने आवाज को अनसुना कर बस यात्रियों को टिकट देने लगा।
दोपहर के 3 बजे
टोंक फाटक से रिद्धि-सिद्धि तक सात नंबर बस का सफर तय किया। बस में इतनी भीड़ थी कि खड़ा होने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं थी। जैसे ही स्टॉपेज बस के ब्रेक लगते अपने आप को भी संभालना मुश्किल हो रहा था और यात्री एक-दूसरे पर गिर रहे थे। ऐसी भी में एक महिला का सफर करना बहुत मुश्किल है। इसलिए रिपोर्टर अपने आप को सुरक्षित करने के लिए महिला सीट पर बैठे पुरुष यात्री को उठाने के लिए बस कंडक्टर को कहा तो कंडक्टर ने कहा कि पहले आप बात करो। रिपोर्टर ने पुरुष यात्री ने सीट से उठने के लिए मना कर दिया। जब इस बारे में रिपोर्टर ने बस के कंडक्टर से कहा तो कंडक्टर ने रिपोर्टर की ओर देखा लेकिन कुछ नहीं किया। जब रिपोर्टर ने दोबारा कहा तो कंडक्टर ने आवाज को अनसुना कर बस यात्रियों को टिकट देने लगा।
सहयात्रियों ने भी नहीं दिया साथ
जब महिला रिपोर्टर पुरुष यात्री को महिला आरक्षित सीट से उठने के लिए कह रही थी और पुरुष यात्री उस पर गुस्सा कर रहा तो सहयात्रियों ने रिपोर्टर का साथ नहीं दिया। इतना ही नहीं महिला यात्री भी एक महिला के अधिकार के लिए नहीं बोली। वहीं बस में यात्रा कर रहे लड़के इस वाकाया पर हस रहे थे।
जब महिला रिपोर्टर पुरुष यात्री को महिला आरक्षित सीट से उठने के लिए कह रही थी और पुरुष यात्री उस पर गुस्सा कर रहा तो सहयात्रियों ने रिपोर्टर का साथ नहीं दिया। इतना ही नहीं महिला यात्री भी एक महिला के अधिकार के लिए नहीं बोली। वहीं बस में यात्रा कर रहे लड़के इस वाकाया पर हस रहे थे।
असहजता के कारण स्टॉप से पहले उतारना पड़ा
साढ़े तीन बजे
रिद्धि-सिद्धि से लालकोठी जाने के लिए रिपोर्टर बस नंबर सात में चढ़ी। जैसे-जैसे रिपोर्टर आगे बढ़ी भीड़ इतनी थी कि वह आगे बढ़ी नहीं पा रही थी। किसी ने भी उसे सुरक्षित जगह देने की कोशिश नहीं की उसे मजबूरन भीड़ में लोगों के साथ खड़ा रहना पड़ा, इस दौरान उसे काफी असहजता हुई। भीड़ होने के कारण लोग बार-बार धक्का मार रहे थे। जिस वजह से रिपोर्टर लालकोठी से पहले ही उतर गई।
साढ़े तीन बजे
रिद्धि-सिद्धि से लालकोठी जाने के लिए रिपोर्टर बस नंबर सात में चढ़ी। जैसे-जैसे रिपोर्टर आगे बढ़ी भीड़ इतनी थी कि वह आगे बढ़ी नहीं पा रही थी। किसी ने भी उसे सुरक्षित जगह देने की कोशिश नहीं की उसे मजबूरन भीड़ में लोगों के साथ खड़ा रहना पड़ा, इस दौरान उसे काफी असहजता हुई। भीड़ होने के कारण लोग बार-बार धक्का मार रहे थे। जिस वजह से रिपोर्टर लालकोठी से पहले ही उतर गई।
कुछ में खुली तो कुछ से गायब शिकायत पेटी
बस में हुई असुविधा की शिकायत के लिए बस में ड्राइवर के सीट के पीछे एक शिकायत पेटी लगी होती है। जब इस बात का जायजा लिया गया तो कई बसों की शिकायत पेटी का दरवाजा खुला पड़ा था, तो कुछ से शिकायत पेटिका गायब मिली।
बस में हुई असुविधा की शिकायत के लिए बस में ड्राइवर के सीट के पीछे एक शिकायत पेटी लगी होती है। जब इस बात का जायजा लिया गया तो कई बसों की शिकायत पेटी का दरवाजा खुला पड़ा था, तो कुछ से शिकायत पेटिका गायब मिली।
ये रही समस्याएं
-खुली पड़ी शिकायत पेटिका
-कंडक्टर महिला सीट दिलाने का नहीं करते प्रयास
-महिलाओं के खड़े रहने के लिए भी नहीं सुरक्षित जगह
-भीड़ वाली बस में पुरुष सहयात्री बनते असहजता की वजह
-खुली पड़ी शिकायत पेटिका
-कंडक्टर महिला सीट दिलाने का नहीं करते प्रयास
-महिलाओं के खड़े रहने के लिए भी नहीं सुरक्षित जगह
-भीड़ वाली बस में पुरुष सहयात्री बनते असहजता की वजह